क्रोध किया यह महत्वपूर्ण नहीं अपितु क्रोध क्यों किया यह महत्वपूर्ण है
शांत रहो मगर आपकी शांति अधर्म को प्रश्रय देती हो तो वहां पर शांति से ज्यादा महत्वपूर्ण क्रोध हो जाता है। भगवान शिव के रूद्र रूप का यही तो रहस्य है। द्वेषवश किसी से किया गया क्रोध जहाँ अनिष्टकारी और अहितकारी होता है, वहीं किसी के हित में किया गया क्रोध स्वयं के लिए भी इष्टकारी और हितकारी ही होता है।
क्रोध किया यह महत्वपूर्ण नहीं अपितु क्रोध क्यों किया यह महत्वपूर्ण है। लोकहित, लोकमंगल और धर्म को ग्लानि से बचाने के लिए किया गया क्रोध भी कल्याणकारी होता है यही भगवान शिव के रौद्र रूप का संदेश है।
भगवान शिव तो कल्याण स्वरुप ही हैं इसलिए उनका रूद्र रूप भी कल्याण कारण ही है। सामर्थ्यवान होकर अन्याय और अनीति को सहते रहना यह अन्याय को बढ़ावा देने जैसा ही है। लोकमंगल, लोकहित और धर्म रक्षार्थ किया गया क्रोध भी जीव के शिव बनने का एक मार्ग है।