सन्यास आवरण का नहीं अपितु आचरण का विषय है


सन्यास आवरण का नहीं अपितु आचरण का विषय है। 


जिह्वा क्या बोल रही यह सन्यासी होने की कसौटी नहीं अपितु जीवन क्या बोल रहा है, यह अवश्य ही सन्यासी और योगी होने की कसौटी है।


जो पुरुष कर्म फल की इच्छा का त्याग कर सदैव शुभ कर्म करता रहता है, परोपकार ही जिसके जीवन का ध्येय है, वही सच्चा सन्यासी है। कर्मों का त्याग सन्यास नहीं, अपितु अशुभ कर्मों का त्याग सन्यास है। दुनिया का त्याग करना सन्यास नहीं है अपितु दुनिया के लिए त्याग करना यह अवश्य सन्यास है।


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