75 जनपदों की 40540.14 लाख की परियोजनाओ के प्रस्ताव पर सहमति 


लखनऊ। प्रमुख सचिव पशुधन मत्स्य विकास एवं दुग्ध विकास विभाग भुवनेश कुमार की अध्यक्षता में  प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) की राज्य स्तरीय अनुमोदन एवं अनुश्रवण समिति की प्रथम बैठक सम्पन्न हुई। जिसमें 75 जनपदों की 40540.14 लाख की परियोजनाओ के प्रस्ताव पर सहमति प्रदान की गयी।


बैठक में निदेशक  मत्स्य विभाग एस के सिंह ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अन्तर्गत संचालित होने वाली प्रस्तावित परियोजनाएं के बारे में बताया कि मत्स्य बीज उत्पादन हेतु निजी क्षेत्र में 16 मिलियन मत्स्य बीज उत्पादन हेतु 25 हेचरियों का निर्माण किया जायेगा। इन्टरप्रन्योर मोड में निजी क्षेत्र में 03 मत्स्य आहार प्लान्ट निर्मित होंगे, जिनकी क्षमता 100 टन मत्स्य आहार प्रतिदिन उत्पादन करने की है। विभिन्न क्षमताओं की लघु, मध्याकार व वृहद 80 मत्स्य आहार गिलों की स्थापना निजी क्षेत्र में की जायेगी। Less Drop More Crop के निजी क्षेत्र में 314 आर0ए0एस0/बायोफ्लाक स्थापित किये जायेंगे। मछली के परिवहन हेतु निजी क्षेत्र में 18 इन्सुलेटेड रेफिजेरेटेड बैंक कय किये जायेंगे। डोर टू डोर मछली बिक्री के लिये 482 मोटर साइकिल विद आइस बाक्स एवं 406 साइकिल विद आइस बाक्स मत्स्य बेडरों को उपलब्ध हो सकेंगी। खारे जल में मत्स्य पालन के दृष्टिगत 56 हे0 में विकास किया जायेगा। 1000 हे0 अतिरिक्त क्षेत्रफल में निजी क्षेत्र द्वारा नये तालाब निर्मित किये जायेगे जिनमे 5 टन प्रति हे0 मछली का उत्पादन होने से 5000 टन मछली अतिरिक्त रूप से उत्पादित होगी।


लगभग 200 हे0 से फिंगरलिंग उत्पादन को लिये निजी क्षेत्र में रियरिंग यूनिट निर्मित हो सकेंगी। मत्स्य किसानों को प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र चितौड़ा, मुजफ्फरनगर में कृषि विज्ञान केन्द्र के अन्तर्गत मत्स्य प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित होगा। उन्होंने बताया कि योजना के अंर्तगत  महिला  एवं अनुसूचित वर्ग के लाभर्थियों को परियोजना लागत का 60 प्रतिशत और अन्य वर्ग के लाभर्थियों को 40 प्रतिशत अनुदान देय होगा।  संकलित परियोजनाओं को राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड और भारत सरकार को केंद्रीय सहायता के लिए अग्रेतर कार्यवाही हेतु भेजने पर निर्णय लिया गया। श्री सिंह ने बैठक में बताया कि योजना 2020 -21 से 2025-2026 तक संचालित रहेगी जिसमे 5 लाख मैट्रिक टन का अतिरिक्त मत्स्य उत्पादन प्राप्त किये जाने का लक्ष्य रखा गया है। जलाशय मात्स्यिकी को विकसित करने, गोमती नदी में केज फार्मिंग, और गंगा व उसकी सहायक नदियों में रिवर रैचिग का कार्य सिचाई विभाग के सहयोग से कराए जाने पर भी सैद्धान्तिक सहमति बनी।


बैठक में विशेष सचिव सिचाई, पंचायतीराज, कृषि, आचार्य नरेंद्रदेव कृषि विश्व विद्यालय कुमारगंज, अयोध्या के अगरोनॉमी के विभागाध्यक्ष, दो प्रगतिशील मत्स्य पालको के अतिरिक्त अन्य विभागीय अधिकारियों ने प्रतिभाग किया।


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