अन्डर ग्राउण्ड वाटर प्रदूषित करने वालों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए - डा0 महेन्द्र सिंह


लखनऊ। उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डा0 महेन्द्र सिंह ने प्रदेश की नदियों में बढ़ते प्रदूषण पर गंभीर चिन्ता व्यक्त करते हुए नमामि गंगे, आवास विकास, नगर विकास तथा पंचायतीराज, ग्राम्य विकास विभाग के साथ संयुक्त महा अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने उ0प्र0 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों से कहा है कि नदियों को प्रदूषणमुक्त बनाने के लिए तैयार की गई कार्ययोजना में भूगर्भ जल को प्रदूषित होने से बचाने की योजना को भी शामिल किया जाय। उन्होंने कहा कि भूगर्भ जल स्रोतों को प्रदूषित करने वाले इकाईयों तथा लोगों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्यवाही की जाये, क्योंकि यह मानवता के विरुद्ध अपराध है।


जलशक्ति मंत्री माल एवेन्यू स्थित जल निगम के ट्रांजिट हास्टल में उ0प्र0 प्रदूषण कन्ट्रोल बोर्ड तथा नमामि गंगे व ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मा0 मुख्यमंत्री जी की अपेक्षा है कि वर्ष 2024 में आयोजित होने वाले कुम्भ मेलों को भव्य एवं दिव्य बनाने के लिए गंगा को अविरल तथा निर्मल बनाये रखने के लिए हरसंभव तैयारी अभी से शुरू कर दी जाए। उन्होंने कहा कि नदियों को जीवित रखने के लिए प्रवाह जरूरी है तथा अविरलता से ही निर्मलता प्राप्त होगी।


डा0 सिंह ने कहा कि गंगा व यमुना जैसी पवित्र नदियों में तमाम नाले एवं अन्य जल स्रोत मिलते हैं। गंगा जी की निर्मलता बनाये रखने के लिए इसमें गिरने वाले प्रदूषण को पूरी तरह से रोका जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नदियों के किनारे विभिन्न प्रकार की निर्माण इकाईयां संचालित की जा रही हैं। इनका प्रदूषित जल पाइप के माध्यम से नदियों में गिराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह की इकाईयों का पता लगाकर प्रदूषित जल को बिना शोधित किये नदियों में गिरने से रोकने के उपाय किये जाएं।


उन्होंने कहा कि हिण्डन जैसी दूसरी नदियों को चिन्हित कर इसको प्रदूषणमुक्त बनाने के लिए महाभियान चलाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मा0 मुख्यमंत्री जी की मंशा है कि नदियां स्नान तथा आचमन लायक बनायी जाएं। उन्होंने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए किए फ्लड प्लेन में हो रहे अतिक्रमण को अभियान चलाकर हटाया जाए। उन्होंने कहा कि नदियों में बढ़ते अतिक्रमण एवं हस्तक्षेप से उथली होती जा रही हैं, जिससे पारिस्थितकीय तंत्र नष्ट हो रहे हैं और जलीय जीव विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके हैं।


बैठक में उपस्थित प्रदूषण नियंत्र बोर्ड के विशेष सचिव आशीष तिवारी ने बताया कि गंगा की सहायक नदियों में औद्योगिक उत्प्रवाह पाये जाने पर 177 उद्योगों को कारण बताओ नोटिस जारी की गयी है। इसके अलावा नालों को टैप करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। अभी तक 19 परियोजनाएं स्वीकृत कर 118 नालों को टैप किया जा रहा है। गोमती के जल की गुणवत्ता में काफी सुधार आया है। गंगा के 11 सहायक नदियों में 53 स्थानों पर जल की गुणवत्ता का आंकलन किया जा रहा है।


प्रमुख सचिव नमामि गंगे तथा ग्रामीण जलापूर्ति अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि गंगा और इसकी 12 सहायक नदियों में गिरने वाले 630 नाले चिन्हित किये गये हैं। इनमें से 213 नालों को टैप कर लिया गया है और 417 नालों को टैप करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। उन्होंने मंत्री  को आश्वस्त किया कि आज की बैठक में जो निर्देश दिए गए हैं उस पर तेजी से अमल किया जायेगा।


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