सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद केा गिराया जाना गैर कानूनी अपराध ठहराया था - कांग्रेस


लखनऊ। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सभी दोषियों को बरी करने का विशेष अदालत का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय व संविधान की परिपाटी से परे है। सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की खण्डपीठ के 9 नवम्बर 2019 के निर्णय के मुताबिक बाबरी मस्जिद को गिराया जाना एक गैर कानूनी अपराध था। पर विशेष अदालत ने सभी दोषियों को बरी कर दिया। विशेष अदालत का निर्णय साफ तौर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के भी प्रतिकूल है।


प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन शाहनवाज आलम ने आज जारी बयान में कहा कि पूरा देश जानता है कि भाजपा, आरएसएस व उनके नेताओं ने राजनैतिक फायदे के लिए देश व समाज के साम्प्रदायिक सौहार्द को तोड़ने का एक घिनौना षडयंत्र किया था। उस समय की उ0प्र0 की भाजपा सरकार भी साम्प्रदायिक सौहार्द भंग करने की साजिश में शामिल थी। यहां तक कि उस समय झूठा शपथपत्र देकर सुप्रीम कोर्ट तक को बरगलाया गया। इन सब पहलुओं, तथ्यों व साक्ष्यों को परखने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद केा गिराया जाना गैर कानूनी अपराध ठहराया था।


संविधान, सामाजिक सौहार्द व भाईचारे में विश्वास करने वाला हर व्यक्ति उम्मीद व अपेक्षा करता है कि विशेष अदालत के इस तर्कविहीन निर्णय के विरूद्ध प्रान्तीय व केन्द्रीय सरकारें उच्च अदालत में अपील दायर करेंगी तथा बगैर किसी पक्षपात या पूर्वाग्रह के देश के संविधान व कानून की अनुपालना करेंगीं। यही संविधान और कानून की सच्ची परिपाटी है।  

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