आईएफडब्ल्यूजे का मनाया गया 70 वां स्थापना दिवस


लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पत्रकारो ने श्रमजीवी पत्रकारों के देशव्यापी शीर्ष संगठन आईएफडब्ल्यूजे का 70 वां स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रमजीवी पत्रकारगण यूनियन भवन (यूपी प्रेस क्लब) में एकत्र हुए। एक विचार गोष्ठी के रूप में आयोजित इस कार्यक्रम में आईएफडब्ल्यूजेयू की प्रदेश इकाई यूपीडब्ल्यूजेयू के अध्यक्ष हसीब सिद्दीकी, महामंत्री प्रेमकान्त तिवारी, लखनऊ वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के अध्यक्ष शिव शरण सिंह, उपाध्यक्ष परवेज अहमद एवं महामंत्री के विश्वदेव राव सहित कई वरिष्ठ एवं अनुभवी पत्रकारो ने अपने विचार व्यक्त किये।


इस अवसर पर बोलते हुए यूपीडब्ल्यूजेयू अध्यक्ष हसीब सिद्दीकी ने कहा कि 1950 में स्थापित आईएफडब्ल्यूजे आजाद भारत का ट्रेंड यूनियन के रूप में रजिस्टर्ड पहला श्रमजीवी पत्रकार संगठन बना। इस संगठन ने निरंतर पत्रकारो के हित मे संघर्ष किया। संगठन ने पत्रकारों के लिए अनेकों कल्याणकारी योजनाएं आदि भी समय समय पर तत्कालीन सरकारों के माध्यम से कार्यान्वित करवाई। संगठन की प्रदेश इकाई ने ही यूपी प्रेस क्लब की स्थापना पत्रकारो के लिए की।


एलडब्ल्यूजेयू के अध्यक्ष शिवशरण सिंह ने कहा कि हम लोग पत्रकारों के हित मे निरंतर कार्य आगे बढ़ा रहे हैं। इसी कड़ी में वर्तमान सरकार ने पत्रकारों के लिए 5 लाख का बीमा और कोरोना से मृत्यु हो जाने पर पत्रकार के परिजनों को आर्थिक सहायता दिए जाने की योजनाएं लागू की हैं। आगे पत्रकार हित के लिए अन्य मांगों पर भी सरकार के साथ लगातार वार्ता जारी रखी जायेगी।


उपाध्यक्ष परवेज अहमद ने गोष्ठी में ऐसे पत्रकारों के लिए एक व्यवस्था बनाये जाने की बात यूनियन पदाधाकरियों के सामने रखी जिनका जॉब छूट चुका हो। उन्होंने कहा कि लिखने-पढ़ने वाले श्रमजीवी पत्रकारों के लिए यह कार्य बहुत मददगार साबित होगा। महामंत्री के विश्वदेव राव ने उनकी बातों का पुरजोर समर्थन किया।


गोष्ठी का संचालन करते यूपीडब्ल्यूजेयू के महामंत्री एवं वरिष्ठ पत्रकार प्रेमकान्त तिवारी ने आईएफडब्ल्यूजे का गौरवशाली इतिहास सभी के बीच मे वर्णित किया। 


कार्यक्रम के दौरान यूपीडब्ल्यूजेयू अध्यक्ष हसीब सिद्दीकी ने एलडब्ल्यूजेयू अध्यक्ष शिव शरण सिंह को संगठन द्वारा संचालित स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का रिन्यूवल बॉन्ड सौंपा। यूनियन द्वारा संचालित इस योजना मे बड़ी संख्या में श्रमजीवी पत्रकार शामिल हैं।


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