कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति ने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर की क्रय शक्ति बढ़ाने की मांग
लखनऊ। प्रदेश के लाखों कर्मचारियों शिक्षकों दैनिक वेतन संविदा वर्कचार्ज एवं पेंशनर्स के संयुक्त फोरम उ0प्र0 कर्मचारी, शिक्षक समन्वय समिति ने देश के प्रधानमंत्री एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञपन भेजकर सुझाव देते हुए मांग किया है कि केन्द्रीय राज्य कर्मचारियों, शिक्षकों एवं पेन्शनर्स को देय फ्रीज्ड महगाई भत्ता/मंहगाई राहत को अविलम्ब रिलीज किया जाये तब उनकी बाजार से सामान खरीद की क्रय शक्ति बढ़ेगी जिसपर सरकार को टैक्स मिलेगा। केन्द्रीय वित्त मंत्री द्वारा पर्व अग्रिम एवं एल0टी0सी0 कैश कूपन का सर्शत उपाय नाकाफी है। वास्तविक रूप से बाजार में इसका प्रभाव नगण्य होगा दूसरे सेवारत की भांति सेवानिवृत्त कर्मियों को भी इस दायरे में लाने पर विचार किया जाना चाहिए था।
विधान परिषद में शिक्षक दल के नेता, समन्वय समिति/शिक्षक महासंघ/ माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा एम0एल0सी0, समन्वय समिति समन्वयक अमरनाथ यादव एवं प्रवक्ता बी0एल0 कुशवाहा ने कहा कि कर्मचारियों, शिक्षकों, पेंशनर्स को दिनांक 01-01-2020 से मिलने वाला क्रय वक्त दिनांक 30-06-2021 तक फ्रीज कर दिया गया है। इतना ही नहीं इस अवधि का देय एरियर भी जब्त कर लिया गया है। अब तक क्रय वक्त की दो किश्तें जनवरी 20 व जुलाई 20 जो 7.94 प्रतिशत होती है, दशमलव के बाद का अंक सरकार हर बार छोड़ देती है तब भी 7 प्रतिशत फ्रीज हो चुका है। जनवरी 2021 की अनुमानित किश्त जोड़ लें तो यह फ्रीजिंग लगभग 11 प्रतिशत और जुलाई 2021 तक जोड़ने पर लगभग 14-15 प्रतिशत हो जायेगी।
सरकार का यह फैसला कमेरा समाज को आर्थिक, मानसिक क्षति पहुँचाने वाला है। केन्द्रीय/राज्यों के कर्मचारी, शिक्षक, पेंशनर्स को जोड़ लिया जाये तो यह संख्या दो करोड़ से अधिक हैं। फ्रीजिंग समाप्त करने पर इच्छा शक्ति/क्रय शक्ति बढ़ेगी तथा वास्तव में बाजार में बढ़ी मांग दिखाई देगी, उत्पादन बढ़ेगा, सप्लाई चैन बढ़ेगी और देश की अर्थव्यवस्थ में निश्चित रूप से सुधार होगा। इसका सकारात्मक प्रभाव डेफिसिट पर भी पड़ेगा।
मुख्यमंत्री को प्रेषित एक दूसरे ज्ञापन में समन्वय समिति समन्वयक अमर नाथ यादव द्वारा वित्त विभाग द्वारा जारी शासनादेश दिनांक 29 दिसम्बर, 2020 को निरस्त करने की मांग की गई है, जिसके द्वारा 1 दिसम्बर, 2008 से लागू नई ए0सी0पी0 व्यवस्था में वरिष्ठ कर्मचारी का वेेतन कनिष्ठ के समान किये जाने की चली आ रही व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है। शासन का यह आदेश वरिष्ठ कर्मचारियों के साथ हफतल्फी है जो समन्वय समिति को स्वीकार नहीं है इसे निरस्त किया जाना चाहिए।
कर्मचारी शिक्षक नेताओं ने बताया कि समन्वय समिति से जुड़े महासंघों/परिसंघों/संघों के शीर्ष नेताओं की शीघ्र बैठक बुलाकर अगली रणनीति तय की जायेगी।