केंद्र सरकार योगी आदित्यनाथ को भेजे मठ - मायावती


नई दिल्ली। बसपा प्रमुख मायावती ने आज मीडिया को सम्बोधित करते हुए कहा कि हाथरस में दलित लड़की के साथ हुआ गैंगरेप व फिर उसकी दर्दनाक मौत पर देश भर में जो व्यापक जन आक्रोश व तीव्र प्रतिक्रिया आदि देखने को मिली, उससे ऐसा लगा था कि शायद यूपी की सरकार थोड़ी जागेगी और बहन-बेटियों की इज्जत-आबरू व जान की सुरक्षा पर सही व समुचित ध्यान देकर यूपी के हर जिले में आए दिन होने वाली इस प्रकार की जघन्य अपराधों पर अंकुश लगाएगी, लेकिन हाथरस के बाद आज सुबह ही बलरामपुर जिले में भी एक दलित छात्रा के साथ वैसी ही जघन्य घटना व उसकी भी मौत होने की खबर ने बहुत ज्यादा दुःखी व विचलित कर दिया है, झकझोर दिया है और इसीलिए मुझे मीडिया के सामने सुबह-सुबह ही आने को मजबूर होना पड़ा है।  


उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था के नाम पर वैसे तो न जाने कितने नए-नए फरमान जारी कर दिए गए हैं व नये-नये नियम-कानून आदि भी बनाए जा रहे हैं। इस सरकार ने आए दिन लोगों के मकान भी खूब तोड़ें हैं व पुलिस इन्काउण्टर भी खूब किए गए है, जिनके बारे में सच्चाई क्या है यह समय ही बताएगा। लेकिन लोगों में आम चर्चा व शिकायत भी है कि इन कार्यवाईयों के पीछे योगी आदित्यनाथ सरकार की  ईमानदारी कम व राजनीतिक स्वार्थ ज्यादा है। शायद यही कारण है कि सरकार के इस किस्म के तमाम प्रयासों से कानून-व्यवस्था की स्थिति सुधरने के बजाए बिगड़ती ही चली जा रही है। वैसे तो इस सरकार में सभी लोग दुःखी हैं। हर प्रकार का क्राइम बढ़ रहा है। बहन-बेटियाँ तो बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं रही हैं। दलित समाज की बहन-बेटियाँ तो यहाँ कतई भी सुरक्षित नहीं है, जिसके अनेकों उदाहरण लोगों के सामने हैं।


बसपा प्रमुख ने कहा हाथरस की ताजा घटना ने तो सबको दहला कर रख दिया है। यह अच्छी बात है कि यूपी में बढ़ती आपराधिक घटनाओं को लकेर व खासकर हाथरस की ताजा गैंगरेप-हत्या की घटना व उस सम्बन्ध में पुलिस , प्रशासन व सरकार के गलत व अमानवीय रवैये को लेकर अधिकांश विपक्षी पार्टियाँ सड़को पर उतरी हैं। हम उसके खिलाफ नहीं है। मैंने भी घटना व पुलिस व प्रशासन का पीड़ित परिवार के प्रति घटिया रवैये का संज्ञान लेकर लखनऊ से गयाचरण दिनकर के नेतृत्व में बी.एस.पी. के एक प्रतिनिधिमण्डल को दिनांक 28 सितम्बर को हाथरस पीड़ित परिवार से मिलकर संवेदना व्यक्त करने व उनको सान्त्वना देने एवं उन्हें न्याय दिलाने का भरोसा दिलाने आदि के लिए भेजा था, लेकिन हाथरस पुलिस ने उन्हें पीड़ित परिवार से मिलने गाँव में नहीं जाने दिया। प्रतिनिधिमण्डल को थाने में ही बैठाए रखा गया व वहीं पर पुलिस के घेरे में ही पीड़िता के माँ व भाई को बुलाकर मिलवाया गया। यह सब अति-दुःखद व गंभीर स्थिति है। ऐसा लगता है कि पीड़ित परिवार को ही अपराधी मानकर उनसे गलत बर्ताव किया जा रहा है। योगी आदित्यनाथ सरकार में पुलिस व प्रशासन का यह आम रवैया बन गया है। अब आरोपियों, दोषियों व अपराधियों के बजाए पीड़ित लोगों पर ही हर प्रकार का दबाव व उन्हें जुल्म-ज्यादती आदि का शिकार बनाया जा रहा है। इस प्रकार का जिला पुलिस - प्रशासन व राज्य सरकार का अनुचित व अमानवीय रवैया, यह सब क्या है? यह सब यूपी सरकार का जंगलराज नहीं है, तो और क्या है? यूपी में माँ, बहन-बेटियों के इसी प्रकार के बुरे हाल को देखकर ही यह कहने को मजबरू होना पड़ता है कि योगी आदित्यनाथ आपने भी एक महिला के पेट से जन्म लिया है। दूसरों की बहन-बेटी को अपनी बहन-बेटी समझना चाहिये। मुख्यमंत्री रहकर माँ, बहन-बेटियों की इज्जत-आबरू की हिफाजत नहीं कर सकते हैं, तो बहेतर है कि वे पीछे हट जाएँ, अपने पद से इस्तीफा देकर चले जाये तो बेहतर है। पीड़ित परिवारों को कुछ आर्थिक मदद व नौकरी आदि देने से क्या समस्या का समाधान हो जाएगा। उन पर हो रही हर प्रकार की जुल्म-ज्यादती को रोकना जरूरी है।


उन्होंने कहा हाथरस के बाद अब बलरामपुर आदि की दर्दनाक घटनाओं ने लोगों को चर्चित निर्भया काण्ड की याद ताजा करा दी है। यह सब अति-दुःखद। यूपी में 75 जिले हैं और हर जिले में आए दिन ऐसी जघन्य घटनायें लगातार हो रही हैं। अभी केवल बलरामपुर ही नहीं बल्कि आजमगढ, बुलन्दशहर, फतहपुर, झाँसी, बागपत आदि से भी ऐसी ही खबरें आ रही हैं। ऐसे कैसे प्रदेश चलेगा? कुल मिलाकर यूपी में कानून-व्यवस्था की जो दयनीय स्थिति है उससे ऐसा लगता है कि योगी आदित्यनाथ सरकार नहीं जाग रही है और ना ही आगे जागने वाली है, तो ऐसे में केन्द्र की सरकार व बीजेपी को जागना चाहिए और मेरा उनको यह कहना है कि उन्होंने आर.एस.एस. के दबाव में आकर योगी आदित्यनाथ को यूपी का सीएम तो बना दिया है, लेकिन इनका अबतक का अनुभव यही बताता है कि वे सरकार चलाने में पूरे तौर से सक्षम नहीं हैं। इसलिए केन्द्र सरकार को आर.एस.एस. के दबाव व चंगुल से निकलकर यूपी की जनता के हित के बारे में सोचना चाहिए और योगी आदित्यनाथ को जहाँ उनकी असली जगह गोरखपुर में उनके मठ में मठाधीशी के लिए वापस भजे देना चाहिए और यदि उनको अब यह काम अच्छा नहीं लग रहा है तो अयोध्या में राम-मन्दिर निर्माण का जो काम चल रहा है वहाँ उन्हें वह काम उनको सौंप देना चाहिये, तो बेहतर होगा। कम से कम बहन-बेटियों की आए दिन जो इज्जत-आबरू लुट रही है, वह तो रुक जाए व प्रदेश की त्रस्त जनता पर थोड़ी रहम हो।


मायावती ने कहा इस सम्बन्ध में पीएम नरेन्द्र मोदी से यह कहना है कि आप तो इस प्रदेश में वाराणसी से चुनकर गए हैं। आप यूपी की जनता पर थोड़ा रहम खायें व किसी ऐसे काबिल आदमी को योगी आदित्यनाथ के स्थान पर यहाँ के सीएम की जिम्मेदारी सौंपे जो यहाँ की काननू -व्यवस्था का सही ध्यान रख सके। वे या तो किसी सक्षम व काबिल व्यक्ति को यूपी का मुख्यमंत्री बनायें और इस सम्बन्ध में अगर आर.एस.एस. का ज्यादा दबाव उन पर है, तो फिर यहाँ राष्ट्रपति शासन ही लागू करके प्रदेश के शासन-प्रशासन की बागडोर अपने हाथ में लेकर कानून-व्यवस्था सुधारें। यही यहाँ की बहन-बेटियों के हित में होगा। बीजेपी व केन्द्र की सरकार योगी आदित्यनाथ को और कितना आजमाएगी? यूपी की सरकार चलाना योगी आदित्यनाथ के बस की बात नहीं है, यह यूपी की जनता को 100 प्रतिशत स्पष्ट है।यूपी की जनता के हित में यही बेहतर है कि यहाँ राष्ट्रपति शासन लगना चाहिए। वैसे भी इस सम्बन्ध में मैंने बार-बार यूपी के सीएम से अनुरोध किया कि वे प्रदेश की जनता के व्यापक हित में बी.एस.पी के नेतृत्व में मेरी चार बार की सरकार से कुछ सीख लेकर राजनीतिक द्वेष के बिना अपराधियों के खिलाफ दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करें व मेरी तरह अपने पार्टी के लोगों को भी इस मामले में न बख्शें, लेकिन वे ऐसा करने को कतई भी तैयार नहीं लगते हैं। इसलिए बीजेपी हाईकमान व केन्द्र को अब इस मामले में यूपी के लोगों पर रहम करने के लिए यहाँ राष्ट्रपति शासन लगाना चाहिए।


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