क्या आप सच में सुखी होना चाहते हैं


क्या आप सच में सुखी होना चाहते हैं तो फिर उन रास्तों का त्याग क्यों नहीं करते जिन रास्तों से दुःख आता है ? आपकी सुख की चाह तो ठीक है पर राह ठीक नहीं हैं। आपकी दशा नहीं दिशा बिगड़ी है। सुख के लिए केवल दौड़ना ही काफी नहीं है अपितु सही मार्ग पर दौड़ना जरूरी है।


दुःख भगवान के द्वारा दिया गया कोई दंड नहीं है, यह तो असत्य का संग देने का फल है। आज का आदमी बड़ी दुबिधा में है कभी तो राम का संग कर लेता है पर अवसर मिलते ही रावण का संग करने से भी नहीं चुकता है। आप पहले बिचार करो कि राम के साथ जीवन जीना है या रावण के साथ ?


राम माने सदगुण, रावण यानि दुर्गुण। जैसा चुनाव करोगे वैसा ही परिणाम प्राप्त होगा। धर्माचरण करने वाला परेशान तो हो सकता है पर पराजित कभी नहीं। सत्य पीड़ा देगा पराजय नहीं। हमे राममय (धर्ममय) जीवन जीना है, असत्य (रावण) के मार्ग को कभी भी नहीं चुनना है।


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