लोकतंत्र को बचाए रखना जरूरी


आजादी के सात दशक  बीतते - बीतते लोकतंत्र की खोल में एक नए सामंतवाद ने जन्म ले लिया है .पहले के मुकाबले कहीं बहुत ज्यादा जनद्रोही . कुछेक परिवार मिलकर देश की राजनीतिक दिशा तय कर रहे हैं भले ही उनके भीतर नेतृत्व की क्षमता हो या ना हो.मन तो करता हैं , नाम लेकर लिखूँ  , सेमीनार आयोजित करूँ लेकिन इससे क्या होगा? जब जन मत ही मुद्दों से दूर जाति, धर्म , क्षेत्र , वर्ग और लैगिंक आधारों से परिपूर्ण हैं तो उत्तरदायित्व , जबाबदेही, पारदर्शिता की क्या हैसियत ? लोकतंत्र की यही खासियत हैं कि जो पुरूष होने के लायक नहीं हैं , वह महापुरूष बन जाते हैं.इसलिए बजाओं ताली कि हम संसार के सबसे बड़े लोकतंत्र के नागरिक हैं.


हां , याद रखना !  इतिहास हमारी भूमिका एक दर्शक के रुप में तय करेगी जिसने लोकतंत्र को परिवारवाद के हाथों कुचलते , रौंदते , मिटते देखा. मौन का दंड तो हस्तिनापुर के राज्य सभा के महारथियों - पितामह भीष्म , गुरु द्रोणाचार्य , अंगराज कर्ण...को भी  मिला था , हम कैसे बचेंगे ? एक बात और कि जिस लोकतंत्र को आप चुपचाप मिटते देख रहे हो उसे कैसे प्राप्त किया गया था,उसे पुन: याद करिए . झांसी की रानी लक्ष्मीबाई , विरसा मुंडा ,मंगल पाण्डेय , वीर कुंवर सिंह , राव तुलाराम , बख्त खान , बेगम हजरत महल ,  पवना वृजवासी , तात्या टोपे , पं.राम सिंह कूका , चाफेकर बंधु , रानी गिडालू , वासुदेव बलवंत फड़के , राना बेणी माधव सिंह , महाराजा देवीबक्श सिंह , राजा बलभद्र सिंह , वीर वेंकटप्पा ...से लेकर  नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ,खुदीराम बोस ,प्रफुल्ल चाकी , करतार सिंह सराभा , वीर ऊधम सिंह , श्याम जी कृष्ण वर्मा , मदन लाल धींगरा, विष्णु गणेश पिंगले ,यतींद्रनाथ , गेंदा लाल दीक्षित, राम प्रसाद विस्मिल , चन्द्रशेखर आजाद , सरदार भगत सिंह ,अशफाक उल्लाह खान , ठाकुर रोशन सिंह, सुखदेव, राजगुरु , राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, वटुकेश्वर दत्त , दुर्गा भाभी , महावीर सिंह, मास्टर सूर्यसेन , कुन्दन लाल गुप्त , कुमारी  प्रीतिलता वादेदार जैसे अनगिनत नामी - अनामी  व्यक्तित्त्वों की क्रांति गाथा, बलिदान गाथा,त्याग गाथा, गौरव गाथा पढ़िए - जानिए - समझिए  और एैसे त्यागियों - बलिदानियों की जिनकी जानकारी भी नहीं हैं ,  उनके योगदान को महसूस करिए तब शायद यह अहसास हो कि लोकतंत्र को बचाए - बनाए रखना कितना आवश्यक हैं .


# नैमिष प्रताप सिंह , राष्ट्रीय अध्यक्ष : लोकशक्ति अभियान


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