निराशा जीवन और प्रसन्नता के बीच एक अवरोधक का कार्य करती है


निराशा अर्थात सफलता की दिशा में अपने बढ़ते हुए क़दमों को रोककर परिस्थितियों के आगे हार मान लेना है। निराशा का मतलब मनुष्य की उस मनोदशा से है जिसमें स्वयं द्वारा द्वारा किए जा रहे प्रयासों के प्रति अविश्वास उत्पन्न हो जाता है।


निराशा जीवन और प्रसन्नता के बीच एक अवरोधक का कार्य करती है क्योंकि जिस जीवन में निराशा, कुंठा, हीनता आ जाए वहाँ सब कुछ होते हुए भी व्यक्ति दरिद्र, दुखी और परेशान ही रहता है।


लोग आपके बारे में क्या सोचते है ? यह ज्यादा विचारणीय नहीं है। आप अपने बारे में क्या सोचते हैं यह महत्वपूर्ण है। स्वयं की क्षमताओं पर, प्रयासों पर और स्वयं पर भरोसा रखो। दुनिया की कोई भी चीज ऐसी नहीं जो मनुष्य के प्रयासों से बड़ी हो। निराशा में नहीं प्राप्तयाषा में जिओ। ना जीवन बार-बार मिलता है ना जवानी वापिस आती है और ना ही बीता समय कभी आता है। जीवन के प्रत्येक पल का उत्सव मनाओ।


Popular posts from this blog

त्वमेव माता च पिता त्वमेव,त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव!

स्वस्थ जीवन मंत्र : चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठ में पंथ आषाढ़ में बेल

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।