पैसे का लोभ और मोह मनुष्य की प्रवृत्ति को बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाता है, जिससे मनुष्य को शारीरिक एवं मानसिक दोनों ही स्तरों पर क्षति पहुँचती है
मन लगने का उपाय कुधान्य (पाप की कमाई) न खाय, अपनी नेक कमाई का सादा -सूक्ष्म भोजन (खाय) सादा वस्त्र पहने
यहाँ पर महाराज जी उन लोगों को मार्ग दिखा रहे हैं जिन्होंने संभवतः ये जानना चाहा की परमात्मा में, परमात्मा की आराधना में मन कैसे लगाएं? सादा भोजन (रजोगुणी-तमोगुणी रहित), साफ-सुथरे पर सादे वस्त्र, सादी जीवन शैली व्यतीत करने से हमारा मन को ईश्वर की भक्ति में लगाने की अधिक सम्भावना हो जाती है - इस बात की पुष्टि महाराज जी हमें समय-समय करते रहे हैं।
इसके अलावा महाराज जी ने अनेकों बार भक्तों को ईमानदारी की कमाई का महत्त्व समझाया है। हममें के कुछ लोग धन- संपत्ति अर्जित करने के लोभ में दूसरों के साथ छल-कपट करते हैं, धोखा देते हैं, रिश्वत देते/लेते हैं -भ्रष्टाचार करते हैं। इस तरीके से मिले धन से हमें तो पाप लगता ही है और इसके साथ हम अपने प्रियजनों को भी पाप का भागीदार बना लेते हैं क्योंकि हमारे साथ वे भी ऐसी बेईमानी की धन-संपत्ति को भोगते हैं। फलस्वरूप हमारे साथ -साथ या हमारे पीछे भी हमारे अपनों को ऐसे बुरे कर्मों के फल मिलते समय पीड़ा होगी। ये दुखद है।
महाराज जी ने आगे भी समझाया है की पैसे का लोभ, पैसे से मोह की वृत्ति से शारीरिक और मानसिक स्वाथ्य बिगड़ जाता है। ऐसा पैसा फिर किस काम का ??? और ऐसे में ईश्वर की भक्ति में मन लगना को खैर संभव ही नहीं है। महाराज जी ने कई अवसरों पर हमें समझाया है कि सच्चे भक्त को ईमानदारी का साथ ही अपनी आजीविका चलानी चाहिए। इससे ईश्वर भजन, ईश्वर की भक्ति में मन लगाने का मार्ग सरल होता है।
कुछ लोगों के लिए ये उपाय कठिन प्रतीत होना संभव है या कुछ को लगे की हाँ हम इस उपाय पर चल सकते हैं पर उस पर चलना कठिन है इस प्रक्रिया में कुछ अच्छा बुरा नहीं है। महाराज जी द्वारा दिखाए गए उपाय उनके लिए हैं जिनमें ईश्वर की भक्ति में मन लगाने की तीव्र इच्छा हो (यहाँ पर ईश्वर हमारे आराध्य या जिस देवी -देवता को हम मानते हों वो हो सकते हैं ) जो जिस/जिन मार्ग पर जितना चल सकेगा उतना ही उसे ईश्वर की अनुभूति होगीऔर महाराज जी का जो भी भक्त सच्ची भक्ति के इन मार्गों पर धैर्यपूर्वक चलने का प्रयत्न करेगा उसे महाराज जी का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा।
महाराज जी सबका भला करें!