भगवदियों के सत्संग का एक लव मात्र भी भक्तों को मिल जाए तो उसकी तुलना में स्वर्ग और मोक्ष नगण्य है


जिस दिन जिस क्षण से भगवान श्रीकृष्ण ने पृथ्वी का परित्याग किया था, उसी क्षण से पृथ्वी में अधर्म का मूल कारण कलियुग प्रवेश कर गया था।


लेकिन जब तक पृथ्वी पर राजा परीक्षित सम्राट रहे तब तक चारों ओर व्याप्त हो जाने पर भी कलियुग का कोई प्रभाव नहीं था। परीक्षित को तो भगवत कृपा से कलियुग में ही महामुनि शुकदेव जी के साथ सत्संग करने का अवसर प्राप्त हुआ था। 


परीक्षित जी को सत्संग प्राप्त होने के पीछे कारण यह है कि भगवान चाहते थे कि जिस परीक्षित की मैंने माता के गर्भ में रक्षा की थी, उनको सत्संग भी मिलना चाहिए। क्योंकि भगवदियों के सत्संग का एक लव मात्र भी भक्तों को मिल जाए तो उसकी तुलना में स्वर्ग और मोक्ष नगण्य है।


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