पराली निस्तारण के बहाने किसानों को जेल भेजकर उनका उत्पीड़न कर रही है योगी सरकार - अजय कुमार लल्लू


लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने सहारनपुर जनपद के किसानों को पराली जलाने के नाम पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की योगी आदित्यनाथ सरकार के कृत्य की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पराली समस्या के समाधान के लिये सरकार को निर्देश दिया था कि वह पराली की खरीद कर उसका निस्तारण कराए और पराली निस्तारण हेतु किसानों को समुचित आर्थिक मुआवजे की व्यवस्था सुनिश्चित करे, किन्तु राज्य सरकार अपने दायित्वों से मुँह चुराकर किसानों के विरुद्ध मुकदमे लिखकर उन्हें जेल भेजकर प्रताड़ित कर रही है। अकेले सहारनपुर जनपद में अब तक 16 किसानों को एक सप्ताह में पुलिस ने जेल भेज दिया है और सैंकड़ों किसान अपनी गिरफ्तारी के भय से अपना घर परिवार छोड़कर भागने के लिए विवश हैं। प्रदेश सरकार के इस पुलिसिया उत्पीड़न से किसानों में भय एवं आक्रोष व्याप्त है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि एक तरफ जहां किसानों को धान बेचने के लिये क्रय केंद्रों पर चार-चार दिन तक प्रतीक्षा करनी पड़ रही है और न्यूनतम समर्थन मूल्य रू0 1886 के स्थान पर तमाम कमियां बताकर आठ सौ से लेकर नौ सौ रुपये प्रति कुन्तल में किसानों को अपनी धान की उपज बेंचने के लिए विवश कर रही है और उनका शोषण करने पर उतारू है। यह खबरें प्रदेश के लगभग हर जनपद से आ रही हैं और समाचारपत्रों की सुर्खियां बन रही हैं।

अजय कुमार लल्लू ने कहा कि वहीं दूसरी तरफ बुंदेलखंड के किसान सूखे की चपेट में हैं और नहरों में पानी न आने के कारण जनपद झांसी के किसान विगत 30 अक्टूबर से लगातार धरने पर बैठे है क्योंकि समय से पानी न आने की वजह से रवी फसल की बुआई के लिए खेतों की तैयारी में अत्यधिक देरी हो रही है। पिछली फसल की बर्बादी से कराह रहा किसान अपनी नई फसल की समय से बुआई न कर पाने के भय और आशंका से दुःखी है। इस मुद्दे पर सरकार की चुप्पी बता रही है कि उसके एजेंडे में किसान नहीं है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि योगी सरकार हर मोर्चे पर फेल साबित हुई है। उंन्होने कहा कि सूखा, ओलावृष्टि की प्राकृतिक आपदा की मार व बैंकों व साहूकारों के कर्ज के जाल में फंसकर आर्थिक संकट से बेहाल किसान पर सरकारी अत्याचार की दोहरी मार से बदहाल किसान हर तरह के संकट की मार झेल रहा है जिसके परिणामस्परूप बुन्देलखण्ड में सर्वाधिक किसानों ने आत्महत्याएं भी की हैं।  



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