वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) योजना लागू करने के ऐतिहासिक फैसले के पांच साल

भारत सरकार ने सात नवंबर, 2011 को एक आदेश जारी कर वन रैंक वन, पेंशन योजना लागू करने का ऐतिहासिक फैसला लिया था। योजना की वजह से पड़ने वाले भारी वित्तीय बोझ के बावजूद सरकार ने योजना लागू की जो पूर्व सैन्यकर्मियों के कल्याण को लेकर उसकी प्रतिबद्धता को दिखाता है। इस योजना के दायरे में 30 जून, 2014 तक सेवानिवृत्त हुए सैन्य बल कर्मी आते हैं। रक्षा पेंशन की विशालता और जटिलता को ध्यान में रखते हुए, ओआरओपी के कार्यान्वयन पर सरकारी आदेश जारी करने से पहले विशेषज्ञों और पूर्व सैन्यकर्मियों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया गया था।


पूर्व सैन्यकर्मी करीब 45 वर्षों से ओआरओपी के कार्यान्वयन की मांग के लिए आंदोलन करते आ रहे थे लेकिन 2015 से पहले इसे कभी लागू नहीं किया गया।


ओआरओपी का मतलब है कि सेवानिवृत्त होने की तारीख से इतर समान सेवा अवधि और समान रैंक पर सेवानिवृत्त हो रहे सशस्त्र सैन्य कर्मियों को एक समान पेंशन दिया जाएगा। इस तरह से ओआरओपी का मतलब आवधिक अंतरालों पर वर्तमान और पिछले सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों की पेंशन की दर के बीच के अंतर को पाटना है।


ओआरओपी लागू करने के साथ 20,60,220 रक्षा बल पेंशन भोगियों/रक्षा बल परिवार पेंशन भोगियों में 10,795.4 करोड़ रुपए की बकाया राशि वितरित की गयी। ओआरओपी के कारण हर साल करीब 7123.38 करोड़ रुपए का खर्च आता है और एक जुलाई, 2014 से करीब छह साल तक 42,740.28 करोड़ खर्च किए गए।


ओआरओपी लाभार्थियों को 2.57 के मल्टीप्लिकेशन फैक्टर से पेंशन की गणना करते समय सातवीं सीपीसी के तहत पेंशन के निर्धारण का लाभ भी मिला।


ओआरओपी की बकाया राशि के तौर पर 11 अक्टूबर, 2019 तक जारी कि गयी रकम का राज्यवार आंकड़ा कुछ इस तरह है।










































































































































































































































क्रमसंख्या



राज्य/केंद्रशासित क्षेत्र



ओआरओपी लाभार्थियों की संख्या



ओआरओपी की बकाया राशि के तौर पर जारी की गयी रकम (करोड़ रुपए में)



1



अण्डमान और निकोबार



380



2.25



2



आंध्रप्रदेश



47,191



259.64



3



अरुणाचल प्रदेश



2,245



10.42



4



असम



35,246



164.14



5



बिहार



73,757



350.96



6



चंडीगढ़



7,088



58.69



7



छत्तीसगढ़



4,289



25.64



8



दादरा नागर हवेली



8



0.13



9



दमन और दीव



16



0.08



10



दिल्ली



46,626



445.11



11



गोवा



988



7.87



12



गुजरात



17,797



88.79



13



हरियाणा



1,84,126



909.28



14



हिमाचल प्रदेश



94,709



412.48



15



जम्मू और कश्मीर



62,160



293.4



16



झारखंड



12,915



62.81



17



कर्नाटक



60,566



380.76



18



केरल



1,37,418



726.41



19



लक्षद्वीप



40



0.26



20



मध्य प्रदेश



37,118



196.2



21



महाराष्ट्र



1,30,158



775.47



22



मणिपुर



4,016



15.64



23



मेघालय



1,991



9.71



24



मिजोरम



1,623



7.12



25



नागालैंड



1,176



6.5



26



ओडिशा



28,667



137.15



27



पांडिचेरी



1,463



8.64



28



पंजाब



2,11,915



1095.44



29



राजस्थान



1,10,675



511.62



30



सिक्किम



789



3.63



31



तमिलनाडु



1,16,627



628.77



32



तेलंगाना



17,811



112



33



त्रिपुरा



1,501



7.66



34



उत्तर प्रदेश



2,28,326



1038.23



35



उत्तराखंड



1,16,553



530.57



36



पश्चिम बंगाल



79,194



391.3



 



कुल



18,67,329



9,638.05



 



  • राज्यवार भुगतान के इस आंकड़े में नेपाली पेंशन भोगियों का ब्यौरा शामिल नहीं है।


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