ये इतना कठिन भी नहीं है , जितना हमें लगता है


चित्र - परमहंस राममंगलदास जी महाराज


प्रश्न:: महापुरुष के संग से क्या लाभ?
महाराज जी का उत्तर : प्रारब्ध (पूर्व जन्मों के कर्म फल) भोग भोगने की शक्ति प्राप्त हो सकती है।

हर मनुष्य जिसने इस संसार में जन्म किया है उसे स्थिति अनुसार कर्म तो करना ही है। अब अगर वो अच्छा कर्म है, अपनी अंदर के आत्मा की आवाज़ सुनकर किया गया कर्म है तो उसका फल भी अच्छा मिलेगा-सुखद मिलेगा।और अगर वो अच्छा कर्म नहीं है, पांचों विकारों में से किसी एक अथवा एक से अधिक के वशीभूत किया गया कर्म है तो उसका भी फल भुगतना ही भुगतना है, जिसमे पीड़ा भी होती है। जैसे हमें मालूम है कि ये कर्म वर्तमान जन्म के होते हैं और कुछ पिछले जन्मों के भी।


अब ऐसी स्तिथि में महाराज जी संभवतः हमें समझा रहे है की अगर हमारी संगति, सच्ची भक्ति, हमारी श्रद्धा किसी सिद्ध आत्मा के लिए है (जैसे हमारे महाराज जी ) तो उन बुरे कर्मों के फल भोगते समय, उस सिद्ध आत्मा के आशीर्वाद से, -प्रायः हमें फल भोगने की शक्ति आ जाती है, धैर्य मिल जाता है। कभी -कभी उस कर्म- फल/ प्रारब्ध की तीव्रता भी कम हो जाती है। पीड़ा कम होती है। 
यहाँ पर आवश्यक है की अधिक कष्ट होने पर हमारा विश्वास उस सिद्ध आत्मा के ऊपर से टूटे नहीं …. डगमगा जाता है कभी - कभी ….. लेकिन हमें बहाल करने का पूरा प्रयत्न करना होगा - अपने ही भले के लिए।


अब हम महापुरुष/ सिद्ध आत्मा का सानिध्य चाहते हैं की नहीं, विशेषकर तब जब हमें इसकी बहुत आवश्यकता होती है अर्थात अपने प्रारब्ध काटते समय, ये पूर्णतः हमारे ऊपर निर्भर करता है, हमारे कर्मों पर निर्भर है। ये इतना कठिन भी नहीं है,जितना हमें लगता है। बस इच्छा शक्ति की आवश्यकता है :-)


महाराज जी जैसी सिद्ध आत्मा के प्रति हमारे सच्चे भाव, हमारा प्रेम, हमारी भक्ति:
- हमें उनके उपदेश अनुसार अपने -परायों को दुःख ना देने/ बुरे कर्म ना करने के लिए और,
- अपने सामर्थ के अनुसार परन्तु निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करने के लिए/ अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित करती है।
फिर वैसे ही हमें अपने कर्मों का फल मिलेगा। जीवन में सुख होगा, शांति होगी।
महाराज जी सबका भला करें।


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