कोरोना का भय प्रबल है, पर इस डर के आगे जीत है


कोरोना से मचे हाहाकार के बीच पेड़ों से महुआ टपकने लगा है। भोर में मादक हवा वैसे बह रही है जैसे हर वर्ष बहती है। सुबह सुबह गेंहू काटती बनिहारिने जब हँसुआ खिंचती हैं तो एकसाथ तीन ध्वनियां निकलती हैं। हँसुआ की सरसराहट और बालियों की खनखनाहट के बीच यदि काटने वाली के हाथ की चूड़ियाँ भी खनक उठें तो मान लीजिये, यही प्रकृति का महा-रास है।

सम्पूर्ण संसार में पसरी महामारी से मनुष्य को छोड़ कर और कोई भी जीव प्रभावित नहीं है। क्यों? इस क्यों का उत्तर बहुत कठोर है, पर... आम के पेड़ों पर टिकोरे जवाँ हो रहे हैं और उनको देख कर मचल उठने वाला बालमन भी! जिन बच्चों का बचपन अंग्रेजी स्कूलों में गिरवी रख दिया गया है, उन्हें छोड़ दें तो सचमुच के बच्चे अब भी बगीचों में ब्लेड और नमक ले कर मंडराने लगे हैं और घर के बड़े यह सोच कर खुश हैं कि गेंहू की फसल इस साल शानदार हुई है। तो क्या आपको नहीं लगता कि नववर्ष सचमुच बहुत सुंदर है? समूचे संसार को भय और दुख दे कर "प्रमादी" गया, आज से "आनन्द" है। आनन्द कितना आनन्द लाएगा यह वही जाने, पर नए सम्वत्सर से आशा तो हम अच्छे की ही करेंगे जी। सब शुभ होने की आशा पर ही नववर्ष मनाने का उत्साह आता है न!

कबीर ने कहा था, हम न मरब मरिहैं संसारा... अखबार और समाचार चैनल बताते हैं कि रोज सैकड़ों लोग मर रहे हैं। मैं रोज बस यह खोज कर पढ़ता हूँ कि प्रतिदिन लाखों लोग इस बीमारी को हरा कर ठीक हो रहे हैं। 97% सकारात्मकता पर 3% नकारात्मकता भारी नहीं पड़नी चाहिये। मैं प्रतिदिन यही प्रार्थना करता हूँ कि हम सब उन लाखों ठीक होने वालों में रहें, सैकड़ों में नहीं... कोरोना का भय प्रबल है, पर इस डर के आगे जीत है साहब! हम इससे बचने का हर प्रयत्न करेंगे, पर डरेंगे नहीं। मास्क, सेनेटाइजर, दूरी, वैक्सीन, जो भी उपाय सम्भव है उसे अपनाया जाय, पर भय नहीं... ऐसी जाने कितनी आपदाओं को अनेकों बार अपने साहस के बल पर पैरों तले रौंदा है हमने।

अगर एक दिन चले जाना ही सृष्टि का नियम है तो यह महामारी भी जाएगी। सम्भव है कि कल हममें से कुछ लोग न रहें, पर जो रहेंगे वे देखेंगे कि कुछ खास नहीं बदला... संसार का सौंदर्य जब भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण के धराधाम छोड़ने से नहीं घटा तो हम क्या चीज हैं भाई... जीव अपनी जिजीविषा के बल पर दीर्घायु होते हैं। जो लड़ेगा वह जीतेगा। सौ साल पहले हमारे बुजुर्गों ने बिना किसी दवा और वैक्सीन के ही प्लेग को हराया था, हम तो तब की तुलना में बहुत शक्तिशाली हैं जी! सम्वत 2078 कोरोना को पराजित करने का वर्ष होगा, इसी विश्वास के साथ नववर्ष की अनन्त शुभकामनाएं। धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो...


सर्वेश तिवारी श्रीमुख

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