गलत दिशा में हजारों कदम चलने से बेहतर है अपने लक्ष्य की ओर चार कदम चलना

 
अगर आप दुनिया की भीड़ से बचना चाहते हो बस एक काम करना, सच्चाई के रास्ते पर चलना शुरू कर देना यहाँ बहुत कम भीड़ है और इस रास्ते पर चलने के लिए हर कोई तैयार नहीं होता यद्यपि व्यर्थ के लोगों से बचने के और भी कई तरीके हैं मगर सत्य पर चलने से व्यर्थ अपने आप छूट जाता है और श्रेष्ठ प्राप्त हो जाता है।
 
गलत दिशा की ओर हजारों कदम चलने की अपेक्षा लक्ष्य की ओर चार कदम चलना कई गुना महत्वपूर्ण है तुम सत्य को जितना जल्दी हो चुन लो ताकि परम सत्य भी तुम्हें चुन सके। सत्य के मार्ग पर चलना ही सबसे बड़ा साहसिक कार्य है सत्य के मार्ग पर चलने से ही सृजन होता है सत्य के मार्ग पर चलने से ही आत्मा का कल्याण होता है हो सकता है सत्य से सत्ता ना मिले पर सच्चिनानंद अवश्य मिल जाता है।

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