नगर पालिका में होने वाले निर्माण कार्यों के लिये एस0ओ0पी0 जारी
लखनऊ। पहली
बार नगर विकास विभाग की ओर से पालिकाओं में होने वाले निर्माण कार्यों के
लिए मार्गदर्शिका/ स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) तैयार की गयी है।
इसका प्रस्तुतीकरण नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन के समक्ष बुधवार
को करते हुए शासनादेश जारी कर दिया गया है।
नगर विकास मंत्री ने कहा
कि इस मार्गदर्शिका (एसओपी) से नगरीय निकायों में होने वाले निर्माण
कार्यों को गति मिलेगी, कार्य की गुणवत्ता पर भी नजर रखी जा सकेगी और कार्य
करने में पारदर्शिता के साथ-साथ उत्तरदायित्व का निर्धारण भी हो सकेगा। कार्यों की गुणवत्ता के लिये थर्ड पार्टी निरीक्षण भी किया जायेगा। इंटरलांकिंग, खड़ंजें, मार्ग-प्रकाश और नाली के कार्य की कोई सीमा नहीः विभाग
द्वारा तैयार एसओपी के तहत नगर पालिका द्वारा स्वंय मार्ग-प्रकाश, खड़जे,
इंटरलॉकिंग टाइल्स एवं अधिकतम एक मीटर चैड़ाई तक की नाली की श्रेणी में
कराये जाने वाले कार्यों के लिए कोई सीमा नहीं तय की गई है। हालांकि ये
कार्य सक्षम स्तर की स्वीकृति मिलने के बाद ही नियमानुसार प्रक्रिया अपनाते
हुए करवानें होंगे।
पालिकाओं में 40 लाख से अधिक की लागत के कार्यों का जिम्मा शासकीय संस्थाओं को नगरीय
निकायों में संपर्क मार्ग के ब्लैक टाप (बिटुमनस)/आर.सी.सी/सी.सी किये
जाने वाले कार्य यदि 40 लाख की लागत के अंदर है तो उसे एसओपी के नियमानुसार
पालिका स्वयं करवा सकेगी, लेकिन कार्यों की लागत 40 लाख से अधिक होगी तो
ये कार्य लोक निमार्ण विभाग से करवाया जायेगा। इसी तरह में भवन निर्माण में
परियोजना कार्यों की लागत 40 लाख से अधिक होने पर कार्य सी.एण्डडी.एस.
उत्तर प्रदेश जल निगम द्वारा किया जायेगा। यही नियम पेयजल व सीवरेज से
संबंधित कार्यों पर भी लागू होगा जहां पेयजल व सीवरेज के कार्य की लागत 40
लाख से अधिक होगी वे कार्य जल निगम से करवाये जायेंगे। जारी
एसओपी के अनुसार निकायों में पालिका में उपलब्ध अवर अभियंताओं/सहायक
अभियंतओं को आवश्यकता पड़ने पर एक से अधिक निकायों का प्रभार दिया जा सकेगा।
वहीं अगर किसी कारणवश किसी भी पालिका में अवर अभियंता/सहायक अभियंता
नियुक्त नहीं है, तो ऐसी दशा में संबंधित जिलाधिकारी द्वारा उस निकाय के
लिए आस-पास की पालिका में कार्यरत अवर अभियंता/सहायक अभियंता अथवा
लो.नि.वि., आर.ई.एस, सिंचाई विभाग में कार्यरत अवर अभियंता/सहायक अभियंता
को कार्य के लिए नामित किया जायेगा। 40 लाख तक के कार्यों की तकनीकी
स्वीकृति सहायक अभियंता और 40 लाख के ऊपर के कार्यों की तकनीकी स्वीकृति
अधिशासी अभियंता देंगे। एसओपी
के अनुसार अवर अभियंता द्वारा पालिका के अंतर्गत स्वयं के प्रभार से सिर्फ
2 करोड़ रुपये की लागत के ही निर्माण कार्यों करवा सकेंगे। हालांकि उपरोक्त
निर्माण कार्य की लागत गणना में मार्ग प्रकाश, इंटरलॉकिंग, फुटपाथ एवं
नाली के कार्यों को सम्मिलित नहीं किया जायेगा। इसके अलावा निकायों में
होने वाले वे निर्माण कार्य जो संबंधित सहायक अभियंता द्वारा पर्यवेक्षित
किया जायेगा उन कार्यों की अधिकतम लागत 20 करोड़ रूपये तक होगी।
आशुतोष टंडन जी ने बताया कि यदि कोई अधिकारी परियोजना/कार्य को अनावश्यक
रूप से कार्य को टुकड़े में करवाता है तो संबंधित अभियंता/अधिशासी अधिकारी
को जिम्मेदार मानते हुए कार्रवाई होगी। लोक
निर्माण विभाग में जारी वसूली की प्रक्रिया की तरह ही नगर विकास विभाग की
एसओपी में भी यह व्यवस्था बनायी गयी है कि यदि निर्माण कार्य की गुणवत्ता
में कहीं भी कोई कमी पाई गई तो उस हानि की वसूली 50 प्रतिशत ठेकेदार से तथा
50 प्रतिशत उत्तरदायी अधिकारी एवं कर्मचारियों से की जायेगी। वसूली के
नियमों की जानकारी देते हुए मा. मंत्री जी ने बताया कि अधिकारी व कर्मचारी
में से 50 प्रतिशत की वसूली अवर अभियंता से होगी, 35 प्रति सहायक अभियंता
से तथा 10 प्रतिशत, अधिशासी अभियंता से की जायेगी। बाकी 5 प्रतिशत वसूली
अधिशासी अधिकारियों से की जायेगी।