‘जल जीवन मिशन’ के तहत 2021-22 के लिए उ0प्र0 को 10,870 करोड़ रु0 का केन्द्रीय अनुदान


प्रत्येक ग्रामीण परिवार के घर तक नल से जल पहुंचाने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्‍पना को साकार करने के लिए केंद्र सरकार ने ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गतउत्तर प्रदेश को मौजूदा वित्त वर्ष 2021-22 मेँ 10,870.50 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। वर्ष 2019-20 में उत्तर प्रदेश को अनुदान की यह राशि 1,206 करोड़ रुपए थीजो 2020-21 में बढ़ा कर 2,571 करोड़ रुपए कर दी गई थी।

इस प्रकार, पिछले वर्ष की तुलना में उत्तर प्रदेश को इस वर्ष जल जीवन मिशन के अंतर्गत मिला केन्द्रीय अनुदान चार गुना ज़्यादा है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने राज्य के मुख्य मंत्री के साथ हुई अपनी पिछली बैठक में आश्वासन दिया था कि उत्तर प्रदेश को जल जीवन मिशन के अंतर्गत हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए धन की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी शेखावत को भरोसा दिलाया है कि उनकी सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा के ही अनुरूप राज्य के हर ग्रामीण घर में 2024 के अंत से पहले-पहले नल जल कनेक्शन प्रदान कर देगी। उत्तर प्रदेश में 97 हज़ार गावों में 2.63 करोड़ परिवार रहते हैं, जिनमें से 30.04 लाख के घरों (यानि 11.41%) में पीने के पानी का नल कनेक्शन है।

जल जीवन मिशन’ की घोषणा से पहले उत्तर प्रदेश में केवल 5 लाख से कुछ ही ज़्यादा, यानि मात्र 2% घरों में ही नल जल कनेक्शन था। इस प्रकारपिछले केवल 21 महीनों के दौरान निरंतर प्रयासों के फलस्वरूप राज्य में 24.89 लाख और घरों (9.45%) को नल जल के नए कनेक्शन प्रदान किए गए। इसके बावजूद, उत्तर प्रदेश में अब भी लगभग 2.33 करोड़ ग्रामीण घरों तक नल कनेक्शन पहुंचाना बाकी है। वर्ष 2020-21 में उत्तर प्रदेश को ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत केंद्रीय अनुदान 2,571 करोड़ रुपये था। 777 करोड़ रुपए के ओपनिंग बैलेन्स के साथ राज्य के पास केंद्रीय आवंटन का 3,348 करोड़ रुपए का पक्का कोष मौजूद था। लेकिन राज्य सरकार, उपलब्ध कोष में से सिर्फ 2,053 करोड़ रुपये का ही उपयोग कर सकी।

मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश  को हाल में लिखे पत्र में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रीगजेन्द्र सिंह शेखावत ने राज्य में जल जीवन मिशन को और तीव्रता से आगे बढ़ाने और उत्तर प्रदेश में नल कनेक्शन से अब भी वंचित परिवारों में से कम से कम एक तिहाई को, यानि 78 लाख ग्रामीण घरों तक इस वित्त वर्ष में नल जल कनेक्शन पहुंचा देने का आग्रह किया है। श्री शेखावत ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को यह भी सलाह दी है कि राज्य के 60 हज़ार से ज़्यादा गावों में इस वर्ष पेय जल आपूर्ति संबंधी परियोजनाओं पर जमीन पर काम शुरू कर दिया जाए। केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने अपने पत्र में, बुंदेलखंड और विन्ध्यांचल में जलापूर्ति परियोजनाओं के काम में तेजी लाई जाने और उनके कार्यान्वयन की मुख्यमंत्री-स्तर पर तत्काल समीक्षा करने का भी अनुरोध किया गया है।

गजेन्द्र सिंह शेखावत ने इन दोनों क्षेत्रों की परियोजनाओं पर भी विशेष ज़ोर दिये जाने का आग्रह किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फरवरी 2019 में बुंदेलखंड के ग्रामीण क्षेत्रों (7 जिलों: झांसी, महोबा, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, बांदा और चित्रकूट) के लिए, तथा पिछले वर्ष नवंबर में विंध्याचल क्षेत्र के मिर्जापुर और सोनभद्र जिलों के लिए ग्रामीण पेयजल आपूर्ति परियोजनाओं की आधारशिला रखी थी। इन परियोजनाओं के पूरा हो जाने से इन क्षेत्रों के 6,742 गावों के 17.48 लाख घरों और डेढ़ करोड़ से ज़्यादा लोगों को लाभ पहुंचेगा। राज्य को इस वर्ष के लिए दी गई 10,870 करोड़ रुपए की केन्द्रीय अनुदान की राशि, पिछले वित्त वर्ष के अंत में शेष बच गए 466 करोड़ रुपए की राशि तथा वर्ष 2019-20 और 2020-21 में राज्य के समतुल्य हिस्से के बकाया 1,263 करोड़ रुपए, तथा इस वर्ष राज्य के समतुल्य अंश को मिला कर उत्तर प्रदेश के पास वित्तवर्ष 2021-22 में जल जीवन मिशन के तीव्रगामी कार्यान्वयन के लिए समग्र रूप से 23,937 करोड़ रुपए की विशाल राशि उपलब्ध है!

15वें वित्त आयोग के अनुदान के अंतर्गत भी उत्तर प्रदेश को 2021-22 के दौरान 4,324 करोड़ रुपए उपलब्ध हैं। इन पाँच वर्षों में उत्तर प्रदेश में पंचायतों के लिए, 15वें वित्त आयोग के तहत पानी और स्वच्छता के लिए 22,808 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। यह राशि, ग्रामीण स्थानीय निकायों/ पंचायती राज संस्थाओं को जल एवं स्वच्छता कार्यों के लिए निर्धारित है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में इस वृहद् निवेश से न केवल स्थानीय आर्थिक गतिविधियों में तेज़ी आएगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़  बनेगी। इससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के व्यापक अवसर भी पैदा होंगे। जल जीवन मिशन के अंतर्गत, सूखाप्रभावित क्षेत्रों, जल गुणवत्ता प्रभावित गांवों, आकांक्षी तथा जापानी इंसेफेलाइटिस/ उग्र-एन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम से प्रभावित जिलों, अनुसूचित जातिअनुसूचित जनजाति बहुल गांवों, सांसद आदर्श ग्राम योजना वाले गांवों, आदि को प्राथमिकता दी गई है।

इसी प्राथमिकता के आधार पर इन गांवोंक्षेत्रों के सभी परिवारों को 2021-22 के अंत तक नल से जल उपलब्ध कराया जाना है। राज्य की 53 बसावटों में पानी फ्लोराइड और 124 बसावटों में आर्सेनिक से प्रभावित है। इनमे से ज़्यादातर को वॉटर ट्रीटमंट प्लांट्स (सीडबल्यूपीपी.) के जरिये प्रत्येक व्यक्ति को रोजाना शुद्ध् पेयजल 8 – 10 लीटर की दर से उपलब्ध कराया जा रहा है। इन सभी बसावटों में रह रहे 2.50 लाख से ज्यादा लोगों इस वर्ष शुद्ध पेयजल की आपूर्ति नल कनैक्शन के माध्यम से सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार को कहा गया है। गांगेय क्षेत्र में जहां कि भूजल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, वहाँ प्रत्येक ग्रामीण घर को नलकूपों, ओवर-हैड टैंक और पाइप से पानी की आपूर्ति करने वाली एकल ग्राम जल आपूर्ति परियोजनाओं के जरिये पेयजल उपलब्ध करने के कार्य को इसी साल पूरा किया जा सकता है।

स्कूलों और आंगनवाड़ी केन्द्रो में बच्चों के लिए शुद्ध पेयजल सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सौ दिन के एक विशेष अभियान की घोषणा की थी। जिसका केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया ने 2 अक्तूबर, 2020 को शुभारंभ किया था। इस काम को तेजी से करते हुयेउत्तर प्रदेश सरकार ने 98,699 (80%) ग्रामीण स्कूलों और 45,807 (23%) आंगनवाड़ी केन्द्रों में नल कनैक्शन प्रदान किए हैं। केंद्र सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में राज्य के बाकी स्कूलों और आंगनवाड़ी केन्द्रों में नल कनैक्शन देकर शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करने को कहा है, ताकि बच्चों का स्वास्थ्य और जीवन बेहतर बने। प्रधानमंत्री मोदी ने सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास पर विशेष ज़ोर दिया है।

जल जीवन मिशन इस सिद्धांत को लागू करने के सर्वोत्तम उदाहरणों में शामिल है। क्योंकि इसके तहत यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि प्रत्येक गाँव के प्रत्येक घर को नल से शुद्ध जल की आपूर्ति हो। इसके अंतर्गत विकास की शुरुआत सबसे निचले स्तर से शुरू होती है। इसमें स्थानीय समुदाय की शुरुआत से ही निर्णायक भूमिका होती है। स्थानीय लोग ही अपने यहाँ उपलब्ध जल स्रोतो का पता लगाते हैं और गाँव की आवश्यकताओं के अनुसार लोक स्वास्थ्य इंजीनियरों के तकनीकी समर्थन से ग्राम कार्य योजना बनाते हैं। इस योजना को ग्राम सभा के समक्ष रखा जाना आवश्यक है। अतः प्रत्येक गाँव में एक ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति हो जो गाँव में जल आपूर्ति व्यवस्था की योजना बनाने, उसे लागू करने, तथा उसके रखरखाव जैसे कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाए।

इसके लिएनल से जल आपूर्ति से जुडी सभी सहायक गतिविधियांजैसे कि पानी समितियों को मजबूती और अधिकार प्रदान करना15वें वित्त आयोग की सह-अवधि के लिए सभी गांवों हेतु  पंचवर्षीय ग्राम कार्य योजना बनानासामुदायिक जागृति पैदा करने के लिए स्वैच्छिक संगठनों को कार्यान्वयन सहायता एजेंसी (आई.एस.ए) के रूप में शामिल करनास्थानीय लोगों को ट्रेनिंग देनाअति आवश्यक हैं। उपरोक्त कार्यों में त्वरितता लाना इसीलिए भी आवश्यक है क्योंकि राज्य के कुल 97,455 गांवों में से आजादी से अब तक सिर्फ 18,142 गांवों में ही नल से जल की आपूर्ति उपलब्ध है। जिनमें से केवल 2,990 गाँव ही हर घर जल हो पाये हैं। 6,491 गांवों में काम चल रहा है और 8,661 ऐसे गाँव हैं जहां पाइप से जल आपूर्ति तो है, परंतु बाकी घरों को नल से जल कनैक्शन का कार्य आरंभ नहीं हुआ है।

केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने मुख्यमंत्री से जिन गांवों में पाइप से जल आपूर्ति है, उनमें अगले तीन–चार महीनों में हर घर में नल से जल पहुचाने पर बल दिया है। उत्तर प्रदेश में 87,974 गाँव ऐसे हैं, जहां जल जीवन मिशन के अंतर्गत काम शुरू होना है। पानी की क्‍वालिटी की जांच और निगरानी से जुडी गतिविधियों को भी सर्वोच्‍च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। जिसके लिए प्रत्येक गांव में 5 महिलाओं को तुरंत ट्रेनिंग दिये जाने की आवश्यकता हैताकि वह फील्ड टेस्ट किट्स (FTKs) के प्रयोग से पेय जल-स्रोतों की तथा जल आपूर्ति पॉइंट्स की नियमित और स्वतंत्र रूप से जांच कर सकें। इस प्रकार राज्य को लगभग पाँच लाख महिलाओं को इन कार्यों हेतु प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। राज्य में जल प्रयोगशालाओ को आम लोगों के लिए खोलने तथा उन्हें और बेहतर बनाया जाना अपेक्षित है।

राज्य में कुल 89 जल जाँच प्रयोगशालाओं में से केवल एक प्रयोगशाला ही NABL से मान्यता प्राप्त है. राज्य में इस वर्ष 75 जिला प्रयोगशालाओं को NABL की मान्यता दिलाई जानी है। ‘जल जीवन मिशन’ के तहत गावों के हर घर में पर्याप्त मात्रा में नल से शुद्ध जल पहुँचे, यह सुनिश्चित करने के लिए अत्याधुनिक टेक्नोलोजी की भी मदद ली जा रही है। परीक्षण के तौर पर इस मिशन ने भारत सरकार, राज्य सरकार और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से ‘ग्रैंड टेक्नोलोजी चैलेंज’ के रूप में उत्तर प्रदेश के बागपत ज़िले के 10 गावों में ‘ऑनलाइन माप एवं निगरानी प्रणाली’ शुरू की है। इस प्रणाली से इन गाँवों की जल आपूर्ति पर लगातार नज़र रखी जा सकेगी, और जैसे ही उसमें कोई व्यवधान आएगा तत्काल ऑनलाइन अलर्ट जारी हो जाएगा ताकि अविलंब उपयुक्त कार्रवाई की जा सके।

‘जल जीवन मिशन’ ने राज्य के दूर-दराज के गाँवों तक सुनिश्चित जलापूर्ति व्यवस्था के जरिये नल से शुद्ध पानी पहुंचाने में स्थानीय ग्रामवासियों की तकनीकी मदद, आदि के लिए संयुक्त राष्ट्र परियोजना सेवा कार्यालय (UNOPS, ‘यूनोप्स’) को भी साझीदार बनाया है। संयुक्त राष्ट्र की यह संस्था गावों में लोगों को प्रशिक्षण और तकनीकी जानकारी आदि उपलब्ध करा कर तथा ग्रामवासियों को पानी की आपूर्ति से संबन्धित ‘ग्राम कार्य योजना’ तैयार करने में मदद दे कर राज्य की मदद कर रही है। ‘यूनोप्स’ ने उत्तर प्रदेश के 11 जिलों (बुंदेलखंड क्षेत्र के 7 ज़िले, विंध्याञ्चल के 2 ज़िले तथा प्रयागराज एवं कौशांबी ज़िले) के 137 गावों में ग्रामवासियों के सहयोग के लिए अपनी टीमें भेज भी दी हैं। ‘जल जीवन मिशन’ द्वारा चुने गए अन्य सैक्टर पार्टनर भी उत्तर प्रदेश सरकार को सहयोग देने आगे आ रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 15 अगस्त 2019 को लाल किले की प्राचीर से घोषित जल जीवन मिशन का लक्ष्य देश के सभी ग्रामीण घरों को 2024 तक नल के जरिये शुद्ध पेय जल उपलब्ध कराना है। इस मिशन को राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों की साझेदारी में चलाया जा रहा है। जल जीवन मिशन’ के लिए इस वित्त वर्ष में 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि उपलब्ध है जो गाँव-देहात की पेय जल आपूर्ति परियोजनाओं पर खर्च की जानी है। निश्चित तौर पर इससे देश के ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को नई शक्ति प्राप्त होगी।

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