शिवजी के जीवन में विलास नहीं, संन्यास है
अति भोगवाद भी व्यक्ति और विश्व की अशांति का प्रमुख कारण है। प्राकृतिक वातावरण में संयम से जीवन जीने से प्रतिरोधात्मक क्षमता बढ़ती है। बल व तेज बढ़ता है। शिवजी के दर्शन करते समय उनके गुणों का मनन करें और आचरण करें। शिवजी के जीवन में विलास नहीं है, संन्यास है, भोग नहीं योग है इनके चित्त में काम नहीं राम हैं।
इन्होंने कामदेव को भस्म किया है विषय विष से भी ज्यादा खतरनाक है विष शरीर को मारता है, विषय आत्मा तक को प्रभावित करता है विष खाने से केवल एक जन्म, एक शरीर नष्ट होता है पर विषय का चस्का लग जाने पर तो जन्म-जन्मान्तर नष्ट हो जाते हैं। वेदानुसार प्राकृतिक वातावरण में संयम से जीवन जीने से प्रतिरोधात्मक क्षमता बढ़ती है बल व तेज बढ़ता है, जिससे आयु भी बढ़ती है। योग के साथ रहने से चित्त भी प्रसन्न रहता है विषय आयु को तो नष्ट करता ही है साथ में चित्त में अशांति और पुनः प्राप्त करने की आशा भी उत्पन्न होती है। आज अति भोगवाद भी व्यक्ति और विश्व की अशांति का प्रमुख कारण है।