परिवर्तन ही दुनिया का शाश्वत सत्य है
वस्तु से लगाव ही अशान्त रहने का कारण है। एक
ज्ञानी व्यक्ति और संसारी में यही फर्क है कि ज्ञानी मरते हुए भी हँसता है
और संसारी जीते हुए भी मरता है। ज्ञान हँसना नहीं सिखाता, बस रोने का कारण
मिटा देता है। ऐसे ही अज्ञान रोना नहीं देता बस हँसने के कारणों को मिटा
देता है। ज्ञानी इसलिए हर स्थिति में प्रसन्न रहता है
कि वो जानता है जो मुझे मिला, वह कभी मेरा था ही नहीं और जो कुछ मुझसे छूट
रहा है, वह भी मेरा नहीं है।
परिवर्तन ही दुनिया का शाश्वत सत्य है। संसारी
इसलिए रोता है, उसकी मान्यता में जो कुछ उसे मिला है उसी का था और उसी के
दम पर मिला है जो कुछ छूट रहा है सदा सर्वदा यह उस पर अपना अधिकार मान कर
बैठा है। बस यही अशांत रहने का कारण है मूढ़ता में नहीं, ज्ञान में जियें
ताकि आप हर स्थिति में प्रसन्न रह सकें।