मृत्यु भी तो जन्म का ही हिस्सा है
श्रावण मास का प्रारम्भ हो गया है। इस धरती पर भगवान शिव जैसा कृपालु, दयालु कोई दूसरा देव नहीं है। जल, दूध, बेलपत्र, प्रणाम मात्र से ही ये प्रसन्न होकर मनवांछित फल दे देते हैं।यद्यपि स्वयं अभाव में, फकीरी में रहते हैं लेकिन भक्तों के अभाव और कष्टों को हर लेते हैं।
भगवान शिव को महाकाल भी कहा जाता है संहार करने वाला, विध्वंश करने वाला भी कहा जाता है।इसे समझने की आवश्यकता है। ब्रह्मा जी निर्माण करते हैं, भगवान विष्णु पालन करते हैं, भगवान शिव मिटाते हैं। विध्वंश भी तो सृजन का ही हिस्सा है. चीजें ना मिटेंगी तो नयी प्रगट कैसे होंगी, मृत्यु भी तो जन्म का ही हिस्सा है।
पुरानी चीजें अगर ना मिटेंगी तो प्रकृति में नवीनता ना रह पायेगी। मिटने के स्वभाव के कारण ही हर चीज पुनः नई लगने लगती है। शिव सृजन के लिए ही विध्वंश करते हैं। श्रावण मास में शिवजी को जल जरूर चढ़ाएं, दुग्धाभिषेक करें। ये श्रावण आपको प्रभु चरणों में श्रद्धा और विश्वास देने वाला हो।