प्रार्थना शब्दों का समूह नहीं, एक भाव दशा का नाम है
प्रभु की प्रत्यक्ष उपस्थिति के अनुभव का नाम ही प्रार्थना है। जैसे- जैसे शब्द मिटते हैं पुकार प्रार्थना बनती चली जाती है। प्रार्थना
शब्दों का समूह नहीं, एक भाव दशा का नाम है, प्रार्थना शब्दों से भी हो
सकती है, मगर केवल शब्द कभी भी प्रार्थना नहीं हो सकते। प्रार्थना अर्थात वह
स्थिति जब हमारे द्वारा प्रत्येक कहे अनकहे शब्द को प्रभु द्वारा सुन लिया
जाता है। प्रभु की
प्रत्यक्ष उपस्थिति के अनुभव का नाम ही प्रार्थना है।
पुकार और प्रार्थना
दोनों में थोड़ा फर्क है पुकार अर्थात प्रभु से आग्रह, अपेक्षा और किसी चाह विशेष की स्थिति। प्रार्थना-ह्रदय की वह भाव-दशा जब हमारे पास परम धन्यता के सिवा कुछ और शेष ना रहे
जो मिला है उसके लिये प्रत्येक क्षण अहोभाव उठे और आँखे सजल होकर गोविन्द
को याद कर उठें पुकार में शब्दों की उपस्थिति होती है, प्रार्थना में
प्राणों की जैसे- जैसे शब्द मिटते हैं पुकार प्रार्थना बनती चली जाती है।