ईश्वर का अस्तित्व है, केवल महसूस करने की देर है
कण कण में भगवान बसते हैं। ईश्वर की स्थिति की अनुभूति हर क्षण, हर कदम पर होती रहती है। किंतु अल्प मति जीव मद के कारण ईश्वर की स्थिति को महसूस नहीं कर पाता।
ईश्वर का अस्तित्व है, केवल महसूस करने की देर है। साधरण जीव प्रभु को सुख में भूलकर, दुख में ही स्मरण करते हैं। ईश्वर की स्थिति दुख में मानते हैं, सुख में नहीं
सुख हमने स्वयं अर्जित किया है ऐसा मानते हैं। जिन्हें ईश्वर की लगन लग गई है वे ही मोह के बंधन को काटकर ईश्वर नाम रूपी स्वाति की बूंदें प्राप्त कर पाते हैं।