मुख्यमंत्री जी की भाषा से बढ़ा है तनाव -अखिलेश यादव


लखनऊ | समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल से मिलकर नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में हुए शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक आंदोलन के विरूद्ध पुलिस के दमन एवं अत्याचार पर रोक लगाने और निर्दोषों के साथ न्याय किए जाने की मांग की। श्री यादव के साथ नेता प्रतिपक्ष विधान परिषद अहमद हसन और राष्ट्रीय सचिव तथा पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी भी थे।
अखिलेश यादव ने राज्यपाल को सौंपे पत्र में कहा है कि 19 दिसम्बर 2019 तथा बाद में नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध के पश्चात् पुलिस प्रशासन द्वारा निर्दोषों को फंसाकर उनके विरूद्ध फर्जी केस लगाये गए हैं। उत्तर प्रदेश में दो दर्जन की हत्या हुई है। पुलिस ने घर में घुसकर महिलाओं को अपमानित किया। घरों में तोड़फोड़ की तथा निर्दोषों का उत्पीड़न किया। अभी भी राज्य में उत्पीड़न जारी है।
श्री यादव ने राज्यपाल से उम्मीद की है कि निर्दोषों के साथ न्याय किया जाएगा। जनता के हुए नुकसान की भरपाई सरकार द्वारा कराने की व्यवस्था की जाए तथा जो फर्जी केस लगाए गए है उन्हें वापस लिया जाए ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके।अखिलेश यादव का कहना है कि जब भाजपा सरकार अपने ही देश के नागरिकों की समस्याएं नहीं सुलझा पा रही है तो उसे आखिर इस नागरिकता संषोधन कानून को लाने की जरूरत ही क्या है? भाजपा नेतृत्व एक ही मुद्दे पर अलग-अलग बयानबाजी इसलिए करता है ताकि समाज में भ्रम की स्थिति पैदा हो। सीएए, एनआरसी, एनपीआर एक ही है। संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, सरकार शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन पर कैसे रोक लगा सकती है? असहमति और सहिष्णुता की भाजपा विरोधी है। भाजपा का लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास नहीं है।
श्री यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री जी की भाषा से तनाव बढ़ा है। उनकी ठोको और बदले की बात से पुलिस को फर्जी एनकाउण्टर और उत्पीड़न करने की छूट मिल गई है।
    


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