अपना कल्याण खुद को ही करना पड़ेगा


भोजन और दवा खुद को ही लेनी पड़ती हैं ऐसे अपना कल्याण खुद को ही करना पड़ेगा संसार के काम तो दूसरे भी कर लेंगें। कल्याण के लिये नई परिस्थितियों नहीं चाहिए। प्राप्त परिस्थितियों का ही सदुपयोग करना है। 


खुद को दूसरों का सेवक समझे तो सब की सेवा हो जाएगी। भोगों की जन्म मरण देने वाली प्रियता छोड़ कर भगवान से प्रीति जोड़ो जो कल्याण करने वाली हैं। 


संसार मे सन्त महात्माओ की, उपदेशो की कमी नहीं है परंतु अपना कल्याण करने की खुद की लग्न, लालसा, मान्यता और श्रद्धा ही काम आती हैं। कल्याण के लिये क्रिया की नहीं बल्कि भाव ओर विवेक की जरूरत है।


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