भाजपा को अपनी कुनीतियों का विरोध ‘देशद्रोह‘ लगता है - अखिलेश यादव


लखनऊ | समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा की रणनीति धोखा देना है। वह कभी नहीं बदलेगी। उसने पूरा सामाजिक तानाबाना तोड़ दिया है। आपसी भाईचारे में जहर घोलने का काम किया है और धर्म तथा जाति की राजनीति का प्रदूषण फैलाया हैं। अपराधिक सियासत से मुल्क को बचाना है। सियासत में अच्छे लोग आएंगे तो सियासत स्वस्थ होगी। नफरत की पराजय तब सुनिश्चित होगी।
अखिलेश यादव पार्टी मुख्यालय लखनऊ में कवियों एवं शायरों से वार्ता कर रहे थे। इस अवसर पर हिंदी संस्थान के पूर्व अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह, यशभारतीय सम्मानित शायर वसीम बरेलवी, वरिष्ठ साहित्यकार सर्वेश अस्थाना सहित पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी, ओम प्रकाश सिंह भी मौजूद थे। श्री आजाद प्रतापगढ़ी के संचालन में कवियों और शायरों ने अपनी कई रचनाओं का पाठ किया।
श्री यादव ने सीएए के विरोध में आवाज उठाने वाली महिलाओं को अपमानित किए जाने के प्रति आक्रोश जताते हुए कहा कि औरतो को भी आजादी का परचम उठाने का हक है। संघर्ष कभी हिन्दू-मुसलमान नहीं हो सकता हैं भाजपा बदले और विद्वेष की भावना से विपक्ष पर हमलावर है। उसे अपनी कुनीतियों का विरोध ‘देशद्रोह‘ लगता है।
श्री यादव ने समाजवादी सरकार के ‘यशभारती‘ सम्मान को भाजपा की राज्य सरकार द्वारा समाप्त किए जाने का योगी सरकार का अपयश पूर्ण निर्णय बताया। यह निर्णय ‘यशभारती‘ का ही अपमान नहीं है बल्कि विद्धानों और अपने अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों का भी अपमान है। पुनः समाजवादी सरकार में पहले से भी अधिक सम्मान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भाजपा अपसंस्कृति का वाहक राजनीतिक संगठन है और आरएसएस तथा कथित सांस्कृतिक संगठन है। इनकी विचार धारा लोगों को जोड़ने के बजाय तोड़ने वाली है। इनका स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों से कुछ लेना देना नहीं है। भाजपा सरकार में सरकार कम्पनी बन गई है।
साहित्यकारों ने इस मौके पर कहा कि जो सपना कवि शायर देखते हैं उसे राजनेता लागू करते हैं। गंगा-यमुनी संस्कृति से ही समाज बच सकता है। सत्ता दल के अहंकार को देखते हुए वे सभी आशा की किरन के रूप में अखिलेश को देखते है। अखिलेश  से साहित्यकारों का रूहानी रिश्ता है। साहित्यकार श्री यादव को दिलों जान से चाहते हैं। अखिलेश का पैगाम पूरी दुनिया में पहुंचाया जाएगा।
उन्होंने समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव का साथ निभाने का वादा किया और कहा कि वे उन्हें सन् 2022 के चुनावों में मुख्यमंत्री बनाएंगे। एक शायर ने पढ़ा- ‘तुम्हारे जैसा या हूबहू अच्छा नहीं लगता। कोई भी अब तुम्हारा जैसा अच्छा नहीं लगता। लौट भी आओ अब तुम्हारे बिना लखनऊ अच्छा नहीं लगता। ‘‘कवियों-शायरों की यह भी हुंकार थी-सिंहासन खाली करना ही पड़ेगा, क्योंकि जनता आती है।‘‘
उदय प्रताप सिंह ने यह पढ़ा-‘‘बूंद में अटकी हवा है, बुलबुला कुछ भी नहीं। किस कदर मगरूर है जैसे खुदा कुछ भी नहीं।‘‘ उनकी दूसरी मशहूर रचना है ‘‘ना मेरा है न तेरा है, ये हिन्दुस्तान सबका है। नहीं समझी गई ये बात तो नुकसान सबका हैै।‘‘ वसीम बरेलवी एमएलसी ने पढ़ा- ‘‘आसमां इतनी बुलंदी पर इतराता है। भूल जाता है जमीं से ही नज़र आता है।‘‘
जो कवि एवं शायर उपस्थित थे उनमें कुछ प्रमुख नाम हैं कलीम कैसर, जौहर कानपुरी, जमील खैराबादी, अज्म शाकिरी, सरदार चरन सिंह बशर, हसन काजमी, सलीम बाराबंकी, अर्शी पिहानवी, नवल टण्डन (सेवता) शहरयार जलालपुरी, यासिर यास, शबीना अदीब, रामप्रसाद बेखुद, शहबाज तालिब, मुख्तार तिलहरी, सरवर झांसी, शादमा बेगम, अजहर हुसैन रौनक, शिव शरन बंधु, शहजादा कलीम, अमिल सुल्तानपुरी, कमर सिद्दीकी, रहमतउल्ला अचानक, आशीष महजिदिया, डाॅ0 वारिस अंसारी, फलक सुल्तानपुरी, हर्षित मिश्रा, आदर्श बाराबंकवी, तूबा जौहर आदि।


Popular posts from this blog

स्वस्थ जीवन मंत्र : चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठ में पंथ आषाढ़ में बेल

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

!!कर्षति आकर्षति इति कृष्णः!! कृष्ण को समझना है तो जरूर पढ़ें