CAA पर सवाल और बवाल कब तक?


CAA  जिसे नागरिकता संसोधन एक्ट के नाम से जाना जाता है | यह एक्ट  विगत वर्ष 10 दिसंबर 2019 को लोकसभा से पास हुआ और 11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा ने भी इसे अपना समर्थन दे दिया और इसके साथ ही यह 12 दिसंबर को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ 10 जनवरी 2020 से देश में लागू हो गया | CAA को लागू हुए महीनो हो गए लेकिन इस कानून का विरोध अभी तक नहीं थमा | CAA बिल जब पास हुआ था तब ऐसा लग रहा था कि मुसलमानो को भड़काया जा रहा है और भड़काया भी गया | CAA के कानूनी रूप लेते ही कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी 14 दिसंबर 2019 को जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहती है "इस काले कानून के खिलाफ हमें आर-पार की लड़ाई लड़नी पड़ेगी" | इसके बाद ही 15 दिसंबर को देश के कई हिस्सों में पत्थरबाजी व आगजनी होती है और फिर अगले दिन यानि 16 दिसंबर से प्रियंका गाँधी वाड्रा सक्रीय हो जाती है फिर शुरू होता है उपद्रवियों का ताण्डव जो अभी तक थमने का नाम नहीं ले रहा है | 


भारत सरकार पहले और अभी भी इसी सोच में है कि CAA के नाम पर मुसलमानो को बरगलाया जा रहा है लेकिन ऐसा नहीं है 3 महीने से सरकार घूम - घूम कर कह रही है कि CAA से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी फिर भी उपद्रव नहीं थमा | अभी हाल में दिल्ली में हुए दंगे में 42 से ज्यादा लोगों की जाने जा चुकी है और सैकड़ों घायल है | क्या अभी भी सरकार यही कहेगी कि मुसलमानो को बरगलाया जा रहा है ? सरकार और विपक्ष के इस वोट की राजनीति में माओं की कोखें सुनी हो रही है, इसका हिसाब कौन देगा ? चंद नोट देकर उन सुनी कोखों को क्या ठंढक मिल जाएगी ?


सियासी खेल ने भारत को अखाड़ा बना दिया है और यह कोई नई बात नहीं है | वोट के खातिर नेता इस देश को वर्षों से बर्बाद करते आएं है | आज हर जगह,हर बात पर सविधान की दुहाई दी जाती है लेकिन आज यह जान लेना होगा कि भारतीय संविधान में पक्षपात हावी रहा जिसका खामियाजा आज तक देश झेल रहा है | नहीं भरोसा हो तो आर्टिकल 30A पढ़ लें जिसमे अल्पसंख्यकों को खुली छूट मिली है कि वे अपने धर्म की पढाई कर सकतें है,अपने धर्म से आमद रुपये को जहाँ चाहे वहां खर्च कर सकतें है,जबकि देश की सबसे बड़ी आबादी हिन्दू ऐसा नहीं कर सकता | ये पक्ष-पात नहीं है तो क्या है ? जब मुसलमानो को अलग देश दे ही दिया गया फिर उसे सर पर बिठाने की क्या जरूरत थी ? सिर्फ वोट के खातिर |


हमें सिखाया गया हिन्दू - मुस्लिम भाई - भाई | सच तो यह है कि हिन्दू - मुस्लिम  कभी भाई - भाई नहीं हो सकते | क्योंकि मुसलमान अपनी कट्टरता और बर्बरता छोड़ नहीं सकता और हिन्दू इस चीज को अपना नहीं सकता | इस देश में कई धर्म के लोग रहते हैं उसमे से एक मुसलमान है | कुछ अपवादों को छोड़ दें तो यही समझ में आएगा कि मुसलमान चाहे कोई भी हो उसपर भरोसा नहीं किया जा सकता और इस बात पर CAA के विरोध ने मुहर लगा दिया | छोटी से छोटी बातों पर फतवा जारी करने वाले मस्जिदों से कभी आपने आतंकवाद के खिलाफ फ़तवा जारी होते सुना ? कभी गौ हत्या पर फ़तवा जारी होते हुए सुना ? CAA का विरोध करें लेकिन जान-माल का नुकसान ना हो ऐसा फ़तवा आया ? 15 करोड़ 100 करोड़ पर भारी पड़ेगा बोलने वालों के खिलाफ फतवा आया ? नहीं ना फिर कैसे हिन्दू - मुस्लिम भाई - भाई हो गए | 


मुसलमान अपने मतलब के अनुसार वेश बदलते हैं | जो मुसलमान हमेशा हरे चाँद सितारे वाले झण्डे लेकर चलते थे वो आज तिरंगा लेकर चल रहे हैं क्यों? आंबेडकर और गाँधी की फोटो लेकर चलते हैं क्यों ? अपनी शरियत कानून को मनाने वाले आज संविधान बचाने निकले हैं क्यों ? याद होगा जब ट्रिपल तलाक पर कानून आया तो मौलवी कहते फिरते थे हमारा अलग कानून है हम देश की कानून को नहीं मानते | आज वही संविधान बचाने निकले हैं क्यों ? ना इन्हे भारत से प्यार है ना ही इन्हे संविधान की फिक्र यह तो इस्लाम को खतरे से बचाने के लिए ऐसा कर रहे हैं और इस आड़ में देश में उपद्रव फैला रहे हैं | 


हमारा देश सोने की चिड़ियाँ कहलाता था | यह सच है कि भारत सोने की चिड़िया था तभी तो मुगल हो या अंग्रेज भारत को ही लूटने आये और इस लूट में भारतीय गद्दारों ने इनका भरपूर सहयोग किया | हिन्दुओं के मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनायी गईं इसमें भी गद्दारों का योगदान रहा | अंग्रेज 200 वर्ष तक शासन करता रहा सिर्फ गद्दारों के बल पर | आज CAA को समर्थन भी गद्दारों के बल पर ही मिल रहा है | गद्दारी और वोट की राजनीति इस देश पर भारी है | जबतक गद्दारी और वोट की राजनीति चलती रहेगी तब तक CAA का विरोध नहीं थमेगा | देश को उम्मीद थी कि दिल्ली चुनाव के बाद शाहीनबाग जैसे धरना स्थल खाली करा लिए जायेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ इसे बढ़ने दिया गया जिसकी परिणति दिल्ली का दंगा है | दिल्ली के दंगे से जो सबूत मिले हैं वह बता रहे हैं कि सरकार की ख़ुफ़िया सूचना तंत्र फेल था और उपद्रवियों की तैयारी काफी पहले से चल रही थी | और उन्हें तैयारी करने का पूरा मौक़ा इस देश के पक्ष और विपक्ष के राजनेताओं ने सिर्फ वोट की राजनीति के लिए दिया | 


जितेन्द्र झा 


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