दिल्ली के दंगल में केजरीवाल का मंगल


देश की राजनीति में अचानक से भूचाल लाने वाले आन्ना आन्दोलन से निकले अरविन्द केजरीवाल तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं | राजनीति में आने से पहले केजरीवाल आई आर एस की नौकरी छोड़ परिवर्तन नाम की संस्था चलाते थे | भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार चरम पर पहुँच चुका था,केन्द्र व दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी,तभी वर्ष 2011 में रालेगांव सिद्धी से आये अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोला और दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन पर बैठ गए | उस आन्दोलन ने देश को जगाने का काम किया | अन्ना के आन्दोलन में सक्रीय भूमिका निभाने वाले अरविन्द केजरीवाल ने राजनीति में आने का फैसला किया जिसे देश का समर्थन मिला यही वजह है कि महज 7 वर्ष में केजरीवाल तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं |


अरविन्द केजरीवाल द्वारा बनाये गए पार्टी “आम आदमी पार्टी” की सदस्यता लेने के लिए देश में लम्बी – लम्बी लाइने लगने लगी | हर आम आदमी इस पार्टी का सदस्य बनना चाहता था | करोड़ों लोगों ने आम आदमी की सदस्यता ग्रहण की | देखते ही देखते दिल्ली से निकली पार्टी पूरे देश में फैल गयी | आम आदमी पार्टी के अस्तित्व में आने के बाद सन 2013 में दिल्ली विधान सभा का चुनाव हुआ और पहली बार अरविन्द केजरीवाल ने चुनाव मैदान में अपना भाग्य अजमाया और वो भी दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री और कांग्रेस की दिग्गज नेत्री स्व शीला दीक्षित के खिलाफ,और इस चुनाव में अरविन्द केजरीवाल ने शीला दीक्षित को करारी मात दी | दिल्ली विधान सभा चुनाव में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस को धुल चटाने वाले केजरीवाल ने अपनी पहली सरकार कांग्रेस की ही मदद से बनाई | सरकार बनाने के महज 49 दिन बाद ही दिल्ली की सत्ता छोड़ कर अरविन्द केजरीवाल 2014 लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव मैदान में कूद पड़े | जिससे उनकी खूब किरकिरी हुई | जिस जनता ने केजरीवाल को सर आँखों पर बैठाया अब वही जनता केजरीवाल को भगौड़ा कहने लगी | वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में जमानत भी नहीं बचा सके केजरीवाल ने फिर दिल्ली का रुख किया और वर्ष 2015 में सभी राजनीतिक पार्टियों को धूल चटाते हुए दिल्ली के 70 विधानसभा सीटों में 67 सीटों पर विजय हासिल की |


दूसरी बार वर्ष 2015 में सरकार बनाने के बाद वर्षों तक केजरीवाल और दिल्ली के राज्यपाल में ठनी रही,दोनों एक दुसरे पर आरोप – प्रत्यारोप लगाते रहे,जिससे अरविन्द कजरीवाल की छवि को नुकसान होने लगा | इसके साथ ही जेएनयु का समर्थन और सर्जिकल स्ट्राइक पर सबूत मांगना भी केजरीवाल के लिए नुकसानदेह रहा | लेकिन इस सबसे पीछा छुड़ा अरविन्द केजरीवाल ने एक परिपक्व राजनेता का सबूत दिया है |       


चुनाव लोकतंत्र का गहना है | हमारे देश में वर्ष भर कहीं ना कहीं,किसी ना किसी राज्य में चुनाव होते रहते हैं | देश की आजादी वर्ष 1947 से अब तक कई चुनाव हुए,हर चुनाव का कोई ना कोई मुद्दा रहा है और आगे भी रहेगा | दिल्ली चुनाव में भी कई मुद्दे थे | दिल्ली देश की राजधानी हैं यहाँ हर वर्ग के और हर प्रान्त के लोग बसते हैं | इस बार दिल्ली का चुनाव बिलकुल अलग था एक तरफ मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल थे तो दूसरी तरफ नरेन्द्र मोदी,अमित शाह जैसे बड़े दिग्गज नेता और रणनीतिकार | फिर भी केजरीवाल ने इस चुनाव में जीत हासिल कर साबित कर दिया है कि नाम में कुछ नहीं रखा है साहब जनता काम पर वोट देती है | इस वर्ष का दिल्ली का चुनाव पहला चुनाव था जिसमे भारतीय जनता पार्टी ने अपने 300 से ज्यादा विधायक,सांसद और मुख्यमंत्री जैसे बड़े नेता चुनावी मैदान में उतारे फिर भी बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी |


2014 के लोकसभा चुनाव के समय देश में सत्ता दल के खिलाफ भारी जनाक्रोश था जिसकी वजह से नरेन्द्र मोदी सरकार सत्ता में आई और वही वर्ष देश के लिए बदलाव का समय था हर व्यक्ति राजनीति में बदलाव चाहता था यही कारण रहा कि देश के ज्यादातर राज्यों में बीजेपी सत्ता में आई | लेकिन सत्ता में आने के बाद बीजेपी भी उसी राह पर चलने लगी जिस राह पर पुराने सत्ता दल चल रहे थे | यही कारण है कि बीजेपी को कई राज्यों में सत्ता गवानी पड़ी है और अगर ऐसा ही चलता रहा तो बीजेपी का सत्ता में आना मुश्किल हो जायेगा |


आज का भारत अलग है | आज का भारत खैरात से पेट भरे ये नहीं चाहता | आज का भारत अधिकार चाहता है | आज किसी भी वर्ग का कोई भी व्यक्ति हो उसे पूछा जाय कि सरकार से तुम्हे क्या चाहिए तो वह सिर्फ तीन मुद्दे उठाता है शिक्षा,स्वास्थ और सुरक्षा | देश सुरक्षित हाथ में है इसमें कोई शक नहीं लेकिन इसके अलावा भी लोगों की जरूरते हैं उसे कौन पूरा करेगा ? बीजेपी जिस भी किसी राज्य में सत्ता में है वहां की जनता महंगाई से कराह रही है | जनता को बिजली मिलती है ऊँचे दामो पर,जनता को शिक्षा मिलता है ऊँचे दामो पर,अस्पताल में इलाज होते हैं ऊँचे दामो पर | वहीँ दिल्ली सरकार ने जनता की आज की जरूरतों को समझा उनसे निजी विद्यालयों को फीस नहीं बढाने दिया,उसने सरकारी विद्यालय को निजी विद्यालय जैसा बनाने के प्रयास किया | उसने स्वास्थ सेवाओं को सस्ता सुलभ बनाया | बिजली,पानी फ्री की | इसलिए आज एकबार फिर केजरीवाल सत्ता हासिल करने में सफल हुए हैं |


वहीँ बीजेपी हर चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कामों को गिनाती है क्यों ? क्योंकि भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कोई काम ऐसा नहीं किया जो सर्वजन के हित में हो | धर्म की रक्षा,उसका प्रचार – प्रसार,देश की सुरक्षा एवं सम्मान जरुरी है लेकिन इस आड़ में मूल्य वृद्धि कर जनता को सताना कहाँ जायज है ?


आप गद्दार को गोली मारो,आप देश की खिलाफत करने वाले को पकिस्तान भेजो,आप सी.ए.ए. का विरोध करने वाले को आतंकवादी कहो सब जायज है लेकिन मंदी और मंहगाई से त्रस्त जनता को कुछ तो राहत दो | मोदी सरकार की मंत्री कहती हैं मंदी नहीं है देश में | हाँ मंत्री महोदया आप को मंदी नहीं नजर आएगी क्योंकि आप तो लगभग 600 करोड़ सलाना सिर्फ  प्रधानमंत्री की सुरक्षा में खर्च कर देती हैं आपके लिए मंदी कहाँ है | आपके नेता एसी से निकलेंगे तभी तो हकीकत का पता चलेगा | वहीँ अरविन्द केजरीवाल ने आमजन की परेशानियों को समझा उसमे सुधार लाने की कोशिश की यही वजह रही कि दिल्ली के चुनावी दंगल में मंगल केजरीवाल का हुआ |


दिल्ली के चुनावी दंगल में मतदान 8 फरवरी यानि दिन शनिवार को हुआ और परिणाम 11 फरवरी दिन मंगलवार को आया और वो मंगल अरविन्द केजरीवाल के नाम रहा |


जितेन्द्र झा


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