एक भारत, श्रेष्ठ भारत


31 अक्टूबर 2018 को भारत के प्रथम उप प्रधान मंत्री लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जयंती के अवसर पर जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा को विश्व को समर्पित किया था। तब से मेरे मन में एक तीव्र इच्छा थी कि मैं शीघ्र अति शीघ्र बड़ौदा जाकर फिर वहां से उस सरदार सरोवर डैम तक जाऊं जिसके पास कावडिआ गांव के पास साधु पेट  नाम के छोटे से द्वीप पर भारत माता के इंजीनियरज़, आर्किटेक्चररज़ व मज़दूरों ने इतनी खूबसूरती के साथ 3 साल के अंदर अंदर बनाकर इस विश्व को समर्पित किया था। उत्तर प्रदेश के नौएडा में रहने वाले विश्व विख्यात मूर्तिकार श्री राम वांजी सुतार जी ने इस मूर्ति के छोटे रूप को तराशा था। और एक बहुत ही अच्छी बात यह थी कि इस मूर्ति को बनाने में लोहा भी भारत के हर गांव के किसानों ने लोहे के पुराने औज़ारों  के रूप में दिया। भारत के हर गांव का योगदान है इस प्रतिमा को बनाने में।  इस प्रकार भारत की एकता का संदेश हर गांव तक पहुंचा।


हर भारतीय गर्व करता है इस विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा पर। इसकी ऊंचाई १८२ मीटर है। सरदार वल्लभ भाई पटेल जी को इस देश की जनता की सबसे अच्छी श्रद्धांजलि यही है कि इसको बनाने में जो लोहा इस्तेमाल हुआ उसमें भारत के हर गांव का योगदान है।  यह परिकल्पना अपने आप में एक बहुत ही महत्वपूर्ण थी इस देश को पुनः एक सूत्र में पिरोने के लिए जिसके लिए सरदार पटेल जी ने अथक परिश्रम किया था। जब भारत को 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी शासन से स्वतंत्रता मिली तो उस समय अंग्रेजों ने जाते समय भारत को धर्म  के आधार पर विभाजित कर पाकिस्तान के रूप में हमारे देश को बांटा गया था। लगभग ६०० राजाओं और नवाबों को खुली छूट दे दी कि वह भारत या पाकिस्तान दोनों में से किसी एक के साथ मिल सकते हैं। सरदार वल्लभभाई पटेल की सूझभूझ व उनके नेतृत्व का  करिश्मा था कि आज हम इस भारत के मानचित्र पर गर्व करते हैं। भारत को एक सूत्र में पिरोने के लिए पूर्ण श्रेय सरदार पटेल जी को जाता है।


जिस दिन इस विशाल प्रतिमा को विश्व को समर्पित किया गया, मैं और मेरी पत्नी दिल्ली में अपने फ्लैट में बैठ कर के उस पूरे कार्यक्रम को बहुत ही एकाग्रता के साथ देख रहे थे। बार-बार मन में विचारआ रहा था कि हमें वहां पर जाने का कब मौका मिलेगा। और वह मौका मिला 15 अक्टूबर 2019 को।  केवल 15 दिन पहले हम दोनों को भारत के इस नए तीर्थ स्थल  'स्टेचू ऑफ़ यूनिटी ' पर जाकर वल्लभभाई पटेल जी की प्रतिमा के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मुझे प्रसन्नता है यह बताते हुए कि जैसे ही आप अपनी टैक्सी या बस से आ रहे होते हैं तो दूर से ही प्रतिमा के दर्शन शुरू हो जाते हैं। मन में एक रोमांच हो जाता है। और जब आप इस परिसर के अंदर जाते हैं तो सबसे पहले बाईं ओर एक बहुत ही सुंदर दीवार बनाई गई है। उस पर अंकित है 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत'। यह शब्द समूह बहुत अच्छा लगता है, प्रेरणा देता है, गौरवान्वित करता है। साथ साथ यह हमारे लिए एक बहुत बड़ी चुनौती भी है। हमें सरदार पटेल के सपनों को पूर्ण  रूप से साकार करना है।  


मैं सभी पाठकों से अनुरोध करूंगा कि कोशिश कीजिए कि जल्दी से जल्दी भारत के इस नए  तीर्थ स्थान के दर्शन करें। विश्व की इस विशालतम् व अति सुंदर प्रतिमा के दर्शन कीजिये। यहाँ पर आने वालों की हर प्रकार की सुविधा का ध्यान रखा गया है। यात्रियों को ज्यादा चलना ना पड़े इसके लिए ट्रवेलेटर्स  बनाए गए हैं, और सीढ़ियां न चढ़नी पड़े उसके लिए एस्केलेटर बनाए गए हैं। और नीचे का जो म्यूजियम है वह पूरी तरह से एयर कंडीशन है। वहां भारत के स्वतंत्रता संग्राम व देश को एकजुट करने की कहानी दर्शाई गई है। सरदार वल्लभभाई पटेल जी के योगदान की विशेष झलक देखने को मिलती है। लिफ्ट द्वारा आप दर्शक दीर्घा  तक पहुंचते हैं तो वहां से सरदार सरोवर डैम और नीचे का पूरा का नजारा बहुत ही सुंदर दिखाई देता है। दर्शक दीर्घा भी बहुत विशाल है। मेरे विचार से वहां पर किसी भी समय लगभग ५००  तक यात्री आ सकते हैं । ऊपर जाने के लिफ्ट भी बहुत ही आरामदायक है। ३० सेकंड के में ही आप कितनी ऊंचाई तक पहुंच जाते हैं और वहां से बहुत ही सुंदर दृश्य दिखाई देता है। तो कोशिश कीजिए जब भी आपको मौका मिले इस स्टैचू ऑफ यूनिटी को अवश्य देखना चाहिए। यह प्रतिमा पूरे भारत को संदेश दे रही है; एक भारत, श्रेष्ठ भारत। 


इसी नाम से यानि कि 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' अभियान भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 31 अक्टूबर 2015 को आरंभ किया था। हमारे देश को एकता की लड़ी में पिरोने के लिए अथवा भारत को एक समृद्ध, स्वस्थ, सुन्दर व सुदृढ़ राष्ट्र बनाने के लिए यह बहुत ही सटीक संदेश है व नारा भी है। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इस अभियान के बारे सोचा तो उनके मन में भारत के अलग अलग राज्यों में अलग अलग भाषा बोलने वाले व विभिन्न रीति रिवाज़ों को मानाने वाले भारत के लोगों को एक साथ जोड़ने की तड़प रही होगी। किंतु अफसोस की बात यह है की स्वयं प्रधानमंत्री जी ने पिछले कुछ दिनों में इस अभियान को सफल बनाने हेतु किए गए कार्यकलापों का जब ब्यौरा मांगा तो उन्हें बहुत ही निराशा हुई। कितने अफसोस की बात है कि भारत का प्रधानमंत्री एक इतना सुंदर अभियान राष्ट्र को जोड़ने के लिए चलाना चाहता है लेकिन उन्हीं के नीचे जिस मशीनरी को इस अभियान को कार्यान्वित करना है वह उस उद्देश्य को पाने में असमर्थ दिखाई देती है। इस सब को देखते हुए प्रधानमंत्री जी ने पुनः  इस बार पीएमओ को कड़े निर्देश दिए हैं और सभी मंत्रालयों को भी इस दिशा में निर्देश दिए गए  हैं।  उनसे पूछा गया है कि इस अभियान के अंतर्गत देश के अलग-अलग राज्यों को आपस में जोड़ने के लिए वह क्या क्या कर सकते हैं। उसके विषय में एक रूपरेखा बना कर प्रस्तुत की जाए। किंतु लगता है कि हमारे विभिन्न मंत्रालय के अधिकारियों को इस अभियान की या तो समझ नहीं है या कुछ लोग जानबूझकर पुराने आलस्य के कारण उसमें कम रूचि ले रहे हैं। 


जहां तक मुझे ज्ञान है कि देश के अलग-अलग राज्यों को हर साल दो दो राज्यों की जोड़िआं बनाने की योजना थी यानि कि दो राज्य एक दूसरे के साथ 1 साल के लिए आपस में कई प्रकार के कार्यक्रमों का आदान प्रदान करेंगे। जैसे कि उत्तर प्रदेश को जोड़ा गया है और अरुणाचल प्रदेश व मेघालय के साथ। तो अपेक्षा की जाती है कि उत्तर प्रदेश से कई लोग इन दो राज्यों में 1 साल के दौरान जाएं और वहां की संस्कृति की जानकारी हासिल करें। वहां की वेशभूषा, वहां की भाषा, खानपान इत्यादि के बारे में जानकारी हासिल करें। इसी प्रकार अरुणाचल प्रदेश व मेघालय के लोग उत्तर प्रदेश जैसे बड़े प्रदेश में आए और यहां की संस्कृति के बारे में सीखें , यहां के तीर्थ स्थानों और पर्यटक स्थलों के बारे में जानें। वह समझने की कोशिश करें कि यहां पर क्या-क्या पकवान पसंद किए जाते हैं। कितना सुन्दर विचार है, दो प्रदेशों में दूरिओं को कम करने का। यहां पर मैं दूसरे भी कुछ आपसी पेअर यानि कि जोड़ने वाले राज्यों की जानकारी देना चाहूंगा, जैसे कि हरियाणा और तेलंगाना को पेअर किया गया है और आंध्रप्रदेश को पंजाब के साथ पेअर किया गया है। इस पेयरिंग का उद्देश्य यही है कि इन राज्यों के लोगों के बीच में संपर्क बड़े, गलत फहमियां दूर हों।  तेलंगाना के लोगों से हरियाणा के लोग तेलुगू भाषा के कुछ शब्द सीख सकते हैं, और तेलंगाना के लोग हरियाणा की संस्कृति, यहां के तीर्थ स्थल व पर्यटक स्थल इत्यादि की जानकारी हासिल कर सकते हैं।'एक भारत श्रेष्ठ भारत' अभियान के दौरान मेरा सुझाव है कि एक सरल शब्दावली तैयार की जाये जिससे भारत की सभी भाषाओं का काम चलाऊ ज्ञान मिल सके ।


मुझे पूरा विश्वास है कि इन प्रदेशों की पेयरिंग से प्यार बढ़ेगा। लोगों के बीच में आपसी संबंध हो जायेंगे। दूरियां नज़दीकियों  में बदल जाएँगी। यह कार्यक्रम पूरे एक साल दो राज्यों के बीच में खूब घनिष्ठता के साथ होने चाहिए और इसकी विजिबिलिटी भी बहुत बढ़िया हो।  हर राज्य में ऐसा माहौल बनना चाहिए, जगह जगह पर कार्यक्रम हों जिससे कि वहां के लोगों के मन में दूसरे राज्य के बारे में जानने के लिए अधिक से अधिक उत्सुकता पैदा हो। मन में यह इच्छा प्रकट हो जाए अगली छुट्टियों में बच्चों को लेकर के पेयरिंग वाले राज्य में घूमने का कार्यक्रम बनाएं। यह हमारे भारत की एकता के लिए बहुत ही सुंदर कदम माना जाएगा।और हर एक या दो साल बाद यह पेयरिंग बदल जानी चाहिये ।


हमारा भारत एक है हालांकि यहां पर कई भाषाएं और बोलियां बोली जाती हैं। हर क्षेत्र का खानपान भी कुछ हद तक अलग है। बहुत से क्षेत्रों में वेशभूषा भी अलग है और इस सब के बावजूद भी हम एक भारत हैं। अब इस भारत को श्रेष्ठ भारत बनाना भी हमारा कर्तव्य बनता है। अनेकता में एकता का सूत्र हमारे स्कूलों में तो हमें बचपन से ही बताया जाता है।  किन्तु  इस दिशा में कोई ठोस कदम पिछले 70 वर्षों में शायद नहीं उठाए गए हैं। हालांकि बहुत से लोग, चाहे वह अपनी जॉब के लिए हो या घूमने के उद्देश्य से या तीर्थ यात्रा करने के उद्देश्य से, हम अलग-अलग राज्य में जाकर के कुछ दिन, महीने या यहां तक कि सालों साल के लिए भी जाते रहते हैं। और कई बार तो दूसरे प्रदेश में जाकर के बस भी जाते हैं। यहां तक कि हमारे मुंबई की बॉलीवुड इंडस्ट्री ने भी हिंदुस्तान को एक सूत्र में पिरोने का अपने हिसाब से बहुत बड़ा योगदान दिया है। 


इसके अतिरिक्त हमारे पूर्वजों ने जैसे कि आदि शंकराचार्य जी ने हिंदुस्तान के चार कोनों में चार मठों की स्थापना करके हिंदुस्तान के लोगों को यह सन्देश दिया कि अपने जीवन में इन चार मठों की यात्रा की जाए। आदि शंकराचार्य जी का हिंदुस्तान के लोगों को एकता के सूत्र में पिरोने का अपने अंदाज में एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम था। आज हमारे देश में दुनिया का शायद ही कोई ऐसा पंथ या मत हो जिसके अनुयाई यहां पर न रहते हों। हमारा ही एक ऐसा देश है जिसने सभी को आश्रय दिया है। जब पारसियों को पर्शिया से निकाल दिया गया तो हिंदुस्तान में गुजरात में आकर के उन्होंने शरण ली और वहां के जो राजा ने दिल खोलकर न केवल उनके रहने की सुविधा दी अपितु उनकी इच्छा अनुसार उनको पारसी धर्म को मनाने की भी पूरी छूट दी। हमारा ही देश एक ऐसा देश है जिसने यहूदियों को भी शरण दी जबकि उन्हें पूरी दुनिया से निष्कासित कर दिया गया था। कोई भी देश उन्हें शरण देने के लिए तैयार नहीं था। हमारे देश की संस्कृति 'एकं सत्, विप्रा बहुधा वदन्ति '  को ध्यान में रखते हुए सभी दर्शनों व मतों व पंथों का सम्मान करती रही है। हमने कभी किसी को कोई एक मार्ग अपनाने के लिए मजबूर नहीं किया। हमारी संस्कृति ने 'वसुधैव कुटुंबकम' का संदेश दिया यानि कि यह पूरी दुनिया एक परिवार की तरह है और हमें सबको मिल जुल कर रहना चाहिए। हमने कभी भी विभिन्नता को अस्वीकार नहीं किया। बल्कि हर प्रकार के विभिन्न विचारों का भी अभिनंदन किया। सह अस्तित्व का सन्देश दुनिया में यदि कोई देश दे सकता है तो वह देश मेरा देश है, हमारा भारत देश  है। अब‘स्टेच्यू आफ यूनिटी’ यह संदेश पूरी दुनिया को दे रही है ।


आज भी हम अनेकों भाषाएं बोलते हुए भी, अलग-अलग प्रकार के पहनावा पहनने के बावजूद, अलग-अलग प्रकार के पकवान खाते हुए भी व अलग-अलग रीति रिवाज निभाते हुए भी, हम सब जब अपने देश के तिरंगे झंडे के सामने खड़े होकर के 'जन गण मन अधिनायक जय हे' राष्ट्रगान बोलते हैं तो हमारी छाती गर्व से फूल जाती है, हमारा रोम-रोम रोमांचित हो उठता है। हम जब अपनी मातृभूमि भारत माता की वंदना में वंदे मातरम का गायन करते हैं, उसकी आराधना करते हैं तो हमारा मन लकित हो उठता है। चाहे हम कोहिमा में हों, या कश्मीर में या कन्याकुमारी में हों , इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। हम  मिल या तेलुगु बोलते हों या बंगाली या हिंदी या पंजाबी, यह सब हमारी भाषाएं हैं। हम इन सभी भाषाओं का आदर करते हैं। जब हम 'एक  भारत, श्रेष्ठ भारत' की बात करते हैं तो हमें इसका ध्यान रखना होगा हिंदुस्तान के हर प्रदेश की भाषा का आदर करें। हां के रहन-सहन, वहां के पहनावे, खानपान तथा रीति रिवाज़ों का भी आदर करें। जिस दिन हम यह सीख गए, वास्तव में उस न हम श्रेष्ठ भारत भी बन जाएंगे। हमें पूरे संसार में विश्व गुरु की पुरानी प्रतिष्ठा को स्थापित करने से कोई नहीं रोक सकता। मुझे ऐसा पता चला है भारत के प्रधानमंत्री 31 अक्टूबर 2019 को इस अभियान को पुनः लॉंच करने वाले हैं और मेरा मानना है अबकी बार पूरी निष्ठा के साथ हिंदुस्तान का हर हिंदुस्तानी बढ़-चढ़कर के इस अभियान में भाग ले। हम इस अभियान को मिलकर सफल बना सकते हैं।

 


- कमांडर वीके जेटली 

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