कर्मयोग और हठ योग का अद्भुत सम्मिश्रण था डॉ इन्द्रदेव में - प्रो हरिकेश

                               


जखनिया । डॉ इन्द्रदेव एक निष्काम कर्मयोगी थे, उनमे कर्मयोग और हठयोग का अद्भुत सम्मिश्रण था। शिक्षक तो थे ही, साधक भी थे,उनका मन, दया, करुणा और सम्बेदना का आगार था, कलम से यारी की तो संत साहित्य को प्रतिपाद्य बनाया, अखबारों के माध्यम से किसानो और अंतिम पायदान के लोगों के दिलों को छूने में सफल रहे, कभी महाविद्यालय के प्राचार्य का पद उनके व्यक्तित्व को प्रभावित् नही कर पाया बल्कि प्राचार्य पद को अपने व्यक्तित्व के अनुकूल बना दिया। कैसे कहें की आज हम लोगों ने एक पूर्व प्राचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया है, सच तो ये है कि भीखा, गुलाल की निर्गुनिया साधना स्थली पर एक सगुण संत की प्रतिमा अनावृत्त हुई है, जो पीढियों पीढ़ियों के लिए कर्म साधना में रत लोगों के लिए प्रेरणा का श्रोत बनी रहेगी” उक्त आशय का विचार स्थानीय श्री महंथ रामाश्रय दास स्नातकोत्तर महाविद्यालय भुड़कुड़ा में आयोजित संस्थापक प्राचार्य डॉ इन्द्रदेव जयंती एवं प्रतिमा अनावरण समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा के प्राक्तन कुलपति प्रो हरिकेश सिंह ने व्यक्त किया । रामकरन रंगशाला में आयोजित इस कार्यक्रम में परिसर में नवस्थापित संस्थापक प्राचार्य डॉ इन्द्रदेव की प्रतिमा का अनावरण भी किया गया ।


        समारोह का प्रारंभ अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्वलन से हुआ, प्राचार्य डॉ श्रीप्रकाश सिंह ने सभी अतिथियों को अंगवस्त्रम भेट कर तथा प्राध्यापको द्वारा बैज लगाकर स्वागत किया गया. मुख्य वक्ता पूर्व सांसद व उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश सिंह ने अद्भुत, अतुलनीय व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला तथा बताया कि प्राचार्य जी में विपरीत परिस्थितियों में सफलता का प्रतिमान गढ़ने की अद्भुत क्षमता थी , प्रकृति ने प्राचार्य जी को आजमाया बहुत, पर हर परिस्थिति में विजय प्राचार्य जी के साहस और समर्पण की हुई । संसाधनो की कमी, जवान बेटे की अर्थी को कन्धा देना और स्वयम की शारीरिक बीमारी कोई भी आघात प्राचार्य जी के मनोबल को कम नही कर पाया, भुड़कुड़ा महाविद्यालय का यह विशाल परिसर इस बात की गवाही देने के लिए पर्याप्त है। अपने संबोधन में पूर्व मंत्री ने मूर्ति के औचित्य पर भी प्रकाश डाला तथा बताया की, प्रतिमाएं, सुन्दर पत्थरों की तराशी हुई कला कृति नही होतीं वरन प्रतिमाये, प्रतिमान गढ़ती हैं, प्रेरणा का श्रोत होती हैं, आगामी पीढ़ियों के सम्मुख आदर्श स्थापित करती हैं, प्रतिमाएं निर्जीव नही होती वरन जीव की भाति समाज के लिए मूल्य निर्धारित करती हैं।


        विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पी जी कॉलेज गाजीपुर के पूर्व प्राचार्य डॉ अशोक सिंह ने डॉ इन्द्रदेव के पत्र लेखन कला की स्मृतियों को तजा किया तथा बताया की उनके पत्रों में गाँधी की शैली और भावों में मर्मस्थल तक पहुचने की अद्भुत क्षमता थी। विशिष्ट अतिथि कोलकाता के बड़े व्यवसायी तथा सेल्वन प्लाई वुड इंडिया के मालिक जयप्रकाश सिंह ने प्राचार्य जी की कर्मसाधना को नमन किया तथा महाविद्यालय को हर प्रकार के सहयोग का प्रस्ताव दिया ।कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में जखनिया ब्लाक प्रमुख सत्येन्द्र प्रताप सिंह भी उपस्थित रहे।


अपने भावपूर्ण उद्बोधन में प्रतिमा स्थापना कमेटी के अध्यक्ष डॉ के, एन सिंह ने बताया की प्राचार्य जी को लोगों को अपना बनाने की कला में महारत हासिल थी, उनसे जो भी मिला उनका हो के रह गया। प्राचार्य जैसे पद पर रहते हुए भी कभी नौकरी की मानसिकता को नही ओढा, आजीवन सामाजिक, साहित्यिक सरोकारों से खुद को जोड़े रखा ।याचक ऐसे की मोची से भी दान मांग लिया, और साधक ऐसे कि हिंदुस्तान के संतमत को जानने की जिद ठान ली।श्री राम बरन दास इंटर कॉलेज के पुर्व प्रधानाचार्य राम बृक्ष पाण्डेय ने बी बताया की डॉ इन्द्रदेव में  पूर्ण मानव के चारो आयाम, शैक्षणिक, साहित्यिक, सामाजिक और आध्यात्मिक मौजूद थे उन्हें आम मानव की संज्ञा नही दी जा सकती ।


 विषय प्रवर्तन करते हुए ब्रह्मेश्वरी महिला महाविद्यालय के प्रबंधक डॉ रणजीत सिंह ने डॉ इन्द्रदेव के सृजनात्मक क्षमता को याद किया तथा बताया कि एक धुन थी प्राचार्य जी में सृजन की, जिसमे जिद नही, कल्पना थी, उनके हाथो परिसर का गड्ढा, विमल सरोवर बन गया और भीटा, मुक्ताकाश सोपान में तब्दील हो गया। कलम उठाया तो देवेश बन गए, ‘और कितनी दूर’ लिखकर अमर हो गए।


हेमवती नंदन बहुगुणा और नेहरु ग्राम भारती विश्वविद्यालयो के पूर्व कुलपति प्रो लल्लन जी सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उन्हें भारतीय मनीषा का प्रतिनिधि बताया।इस अवसर पर पूर्व प्राचार्य की धर्म पत्नी श्रीमती लीलावती देवी को स्मृति चिन्ह प्रदान कर महाविद्यालय ने स्वयं की कृतज्ञता ज्ञापित की।कार्यक्रम में युसुफपुर महाविद्यालय के प्रबंधक ओम प्रकाश सिंह उर्फ़ पप्पू, सुखदेव किसान महाविद्यालय के प्रबंधक भुल्लन सिंह, ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय परिवार के अलावा, क्षेत्र की सम्मानित जनता, पत्रकार, के साथ खरडीहा महाविद्यालय के प्राचार्य कुवर भानु प्रताप सिंह, जनता पी जी कॉलेज रानीपुर के पूर्व प्राचार्य डॉ डी एन सिंह, रजवंता डिग्री कॉलेज के प्रबंधक इन्द्रसेन सिंह, प्रबंधक आमिर अली, प्रबंधक राम बृक्ष यादव, स्थानीय अन्तर कॉलेज के प्रधानाचार्य रामानंद राय, प्रधानाचार्य उमाशंकर सिंह, पूनम सिंह सहित अनेकों गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे. आभार ज्ञापन महाविद्यालय प्रबंध समिति के उपप्रबंधक डॉ अरविन्द सिंह ने तथा सञ्चालन राजनीति विज्ञानं विभाग के प्राध्यापक डॉ धर्मेन्द्र प्रताप श्रीवास्तव ने किया।


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