मां गंगा के आंचल में, संत वाणी का साक्षी बनने का अवसर बार-बार नहीं मिलता - प्रधानमंत्री


लखनऊ । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनपद वाराणसी में जंगमवाड़ी स्थित श्रीजगद्गुरु विश्वाराध्य गुरुकुल मठ के शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि वे काशी के जनप्रतिनिधि हैं और काशी की धरती पर संतों का आशीर्वाद मिला है। उन्होंने कहा कि संस्कृति और संस्कृत की संगम स्थली में आप सभी के बीच आना, उनके लिए बहुत बड़ा सौभाग्य है। संतों के ज्ञान व सत्संग का मौका छोड़ना नहीं चाहिए। बाबा विश्वनाथ के सान्निध्य में, मां गंगा के आंचल में, संत वाणी का साक्षी बनने का अवसर बार-बार नहीं मिलता। पूरे देश के लोग कोने-कोने से यहां आए।



प्रधानमंत्री ने कहा कि वीर शैव की संत परम्परा के शताब्दी वर्ष का आयोजन सुखद है। वीर शब्द का अर्थ वीरता का नहीं, बल्कि वीर शैव परम्परा में वीर को आध्यात्मिक अर्थ से परिभाषित किया गया है। सनातन परम्परा में धर्म, कर्तव्य का पर्याय रहा है। वीरशैव ने धर्म की शिक्षा कर्तव्यों के साथ दी है। पांच आचरण का जिक्र है। राष्ट्र निर्माण में मठ महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। दूसरों की सेवा के लिए करुणा भाव से आगे बढ़ना है। संकल्पों से खुद को जोड़ना है। स्वच्छता में मठों, गुरुकुलों की भूमिका रही है। उन्होंने तुलसी दास जी के कथन ‘संत समागम हरि कथा तुलसी दुर्लभ दोऊ’ का उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जंगमवाड़ी मठ भावात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से वंचित साथियों के लिए प्रेरणा का माध्यम है। मठ के द्वारा संस्कृत भाषा और दूसरी भारतीय भाषाओं को ज्ञान का माध्यम बनाते हुए, टेक्नोलॉजी का समावेश अद्भुत है। उन्होंने कहा कि सरकार का भी यही प्रयास है कि संस्कृत सहित सभी भारतीय भाषाओं का विस्तार हो, युवा पीढ़ी को इसका लाभ मिले। जंगमवाड़ी मठ का आचरण नए भारत की दिशा तय करेगा। 



प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान संचालित है। भारत में बने उत्पादों को बढ़ावा देते हुए बुनकरों-शिल्पियों को सम्मान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में बने सामान के उपयोग पर बल देना है। लोगों की मानसिकता बदल रही है कि इम्पोर्टेड श्रेष्ठ है। जल-जीवन में सभी की भूमिका अहम है। पानी की बचत करनी है और देश को सूखा मुक्त और जलयुक्त करना है। बडे़-बड़े अभियानों को सरकार व जनभागीदारी के साथ पूरा करना होगा। माँ गंगा के जल में सुधार इसका परिणाम है। आज माँ गंगा के पास बसे स्थानों में दायित्वबोध तथा कर्तव्यबोध ने माँ गंगा को साफ करने में बड़ा योगदान दिया है। नमामि गंगे के तहत माँ गंगा को स्वच्छ बनाने का काम प्रगति पर है। प्रयागराज कुम्भ के दौरान आए संतों और श्रद्धालुओं ने माँ गंगा की स्वच्छता पर संतोष व्यक्त किया, जो प्रेरक और उत्साहवर्धक है। 



प्रधानमंत्री ने कहा कि वीरशैव संतों का संदेश सरकारों को प्रेरणा देता है। आज देश में पुरानी समस्याओं पर फैसला आ रहा है। राम मंदिर निर्माण का मार्ग अब साफ हो गया है। राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट की घोषणा की जा चुकी है। अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण होगा। इसके लिए 67 एकड़ भूमि ट्रस्ट को मिलेगी। इससे मन्दिर की भव्यता बढ़ेगी। राम मंदिर और काशी विश्वनाथ धाम का कालखण्ड ऐतिहासिक है। उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि नए भारत के निर्माण की जिम्मेदारी निभाने का संकल्प लें। 
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत की आस्था को सम्मान मिल रहा है। कर्नाटक की परम्परा बहुत ही समृद्ध है। सनातन हिन्दू धर्म को समृद्ध करने का कार्य 05 वीरशैव पीठ कर रही हैं। जंगमवाड़ी मठ के गुरुकुल की समृद्ध परम्परा है। उन्होंने कहा कि संतों के ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाना मानवता की बड़ी सेवा है। लिंगायत, वीरशैव परम्परा के लोगों ने शिक्षा एवं संस्कृति को बढ़ाया है। मठों के जरिए अज्ञानता दूर की जा रही है। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि जंगमवाड़ी मठ भावात्मक और मनोवैज्ञानिक तरीके से प्रेरणा और आजीविका प्रदान करने का जरिया है। संस्कृत और दूसरी भाषाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मठ द्वारा तकनीक का समावेश किया जा रहा है, जो उत्साहवर्धक है। सरकार का प्रयास है कि संस्कृत और दूसरी भाषाओं के ज्ञान से युवाओं को लाभ हो। उन्होंने दर्शन कोष की स्थापना के लिए चंद्रशेखर महास्वामी जी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी लिखी पुस्तकें राष्ट्र निर्माण में भूमिका निभा रही हैं। संस्कार से देश बनता है और कर्तव्य भावना को श्रेष्ठता प्रदान करता है।



प्रधानमंत्री ने मठ में संजीवनी समाधि का दर्शन-पूजन किया। इसके पश्चात उन्होंने मठ मंच पर श्रीसिद्धान्त शिखामणि ग्रंथ के 19 भाषा में अनुवादित संस्करणों का विमोचन तथा श्रीसिद्धान्त शिखामणि ग्रंथ के मोबाइल एप का लोकार्पण किया। उन्होंने मठ के ज्ञान मन्दिर में मुगल शासकों एवं काशी महाराज द्वारा मठ की महत्ता को दृष्टिगत रखते हुए दिये गए भूदान के राजाज्ञा पत्रों का भी अवलोकन किया। तत्पश्चात प्रधानमंत्री ने महाकुम्भ में कर्नाटक, उड़ीसा, केरल, बैंगलुरु और मसूरी से आए संत-महात्माओं को अंगवस्त्र भेंटकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी0एस0 येदियुरप्पा सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।


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