संसार और भगवान की भक्ति दोनों ही सरलता से निभ जायगी


भगवान की पूजा भक्ति में शरीर लगाने की अपेक्षा संसार मे जो रिश्ते मिले हैं उनमें शरीर लगाओ उनकी सेवा करो और हृदय में भाव रखो कि प्रभु की सेवा कर रहे हैं। 


इससे लाभ यह होगा कि संसार को शरीर चाहिए वो उन्हें मिल जाएगा तो वो प्रसन्न रहेंगे। प्रभु को भाव चाहिए वो उन्हें मिलेगा और जीवन में संतुलन आ जायेगा। संसार और भगवान की भक्ति दोनों ही सरलता से निभ जायगी।


अपने हर कर्म को भगवान की पूजा बना लो कर्म से संसार सुखी और भाव से भगवान से मिलन।


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