सुख दुख के साथियों के साथ डटकर खड़ा रहेगा भारत - राजनाथ सिंह


लखनऊ | भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘’डिफेंस एकस्पो 2020’’ में पहली  इंडिया-अफ्रीका डिफेंस कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए इस बात के साफ संकेत दिये कि भारत अफ्रीकी देशों के साथ रक्षा सौदो को लेकर आगे बढने के लिए पूरी तरह से तैयार है। श्री सिंह ने कहा कि भारत कोशिश करेगा दोनों देश पारस्परिक सहयोग से एक दूसरे की सैन्य क्षमता को मजबूत करने में सहयोग दे। उन्होने कहा कि भारत और अफ्रीका के बीच समझौतों की नींव अफ्रीका की आवश्यकताओं की प्राथमिकता होगी। श्री सिंह ने कहा कि आतंकवाद से निपटने, उग्रवाद से लड़ने और  साइबर स्पेस को सुरक्षित बनाने तथा विश्व में  शांति कायम करने में भारत और अफ्रीका अमेरिका की हर संभव मदद करेंगे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत रक्षा मामलों में निवेश के माध्यम से  ,रक्षा उपकरणों के संयुक्त उपक्रम लगाकर ,साफ्टवेयर, डिजीटल डिफेंस,अनुसंधान और विकास, रक्षा उपकरणो के रख रखाव में समन्वय स्थापित कर संबंधो को और गहरा बनाना चाहता है। श्री सिंह ने कहा कि हांलहि में भारतीय डिफेंस इंडस्ट्री ने काफी तेजी से पब्लिक-प्राइवेट,अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में प्रगति की है जिसकी वजह से एक दूसरे से जुड़कर सबंधों को मजबूत बनाने के अपार संभावनाओं के अवसर प्राप्त हुए है।उन्होंने कहा कि भारतीय रक्षा उत्पादक कंपनिया इस समय विश्व की जानी मानी सैन्य कंपनियों के साथ समझौता कर रही है और वैश्विक स्तर पर रक्षा उपकरणों की पूर्ति कर रही है । उन्होंने कहा कि भारत अफ्रीकी देशों को आफसोर पेट्रोल वेसेल, अनमैन्ड एरियल व्हीकल,डॉर्नियर एयरक्राफ्ट, रात्रि दृश्य देखने वाले चश्में, हथियार और गोला बारूद आदि उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा क्षेत्र में अफ्रीकी देशों द्वारा सामना की  जा रही  चुनौती को समाप्त करने के लिए  भारत की रक्षा के क्षेत्र में की गई नई  खोज की तकनीकियों, मेक-2 प्राप्ति पद्दति और अन्य ज़रूरू आवश्यकताओ  को साझा करने का प्रस्ताव दिया ।

श्री सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि अफ्रीका के साथ हमारी साझेदारी पूरी तरह से स्वार्थरहित है और अफ्रीका जिस तरह से भी चाहे अपनी प्राथमिकता के अनुसार सैन्य मामलों में आगे बढ सकती है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शक शब्दो  की पुनरावृत्ति करते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि भारत की अफ्रीका के साथ साझेदारी ने पड़ोसी समुद्री देशो के साथ आर्थिक और सुरक्षा के लिहाज से संबंधो को और  मजबूत बनाया है ।उन्होंने कहा कि समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा भारत और अफ्रीका दोनो की पारस्परिक आवश्यकता है और भारत सरकार ने इंडो-पैसिफिक रीजन में सागर (सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फार आल इन द रीजन) सुरक्षा को तरजीह दी है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘नीली अर्थव्यस्था’’ मजबूत हो इसके लिए आवश्यक है कि हमारी समुद्री सीमाये पूरी तरह से महफूज रहे।उन्होंने कहा कि भारत और अफ्रीका दोनो ही पाइरसी,ड्रग ट्रैफिकिंग,मानव तस्करी और अवैद्द फिसिंग जैसे अपराधों से जूझ रहे है।इसलिये आवश्यक है कि दोनो देश एक दूसरे के साथ मिलकर सूचना,तकनीक, सर्विलांस का साझा करे और क्षमता का निर्माण करें।उन्होंने कहा कि भारत पिछले कुछ समय से भारत की बढती सक्रियता का ही नतीजा है कि आपदा के समय में भारत मानवीय मदद के लिए हमेशा ही तैयार रहा है जिसका उदाहरण है जिम्बाब्वे और मेडागास्कर चक्रवात में भारत के द्वारा मुहैया करायेगी मानवीय मदद।
सम्मेलन में रक्षा मामले में पारस्परिक मदद पर  भारतीय अफ्रीका ने घोषणा की। इस मौके पर रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, भारतीय वायु सेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया , आर्मी चीफ प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे ,रक्षा सचिव डा. अजय कुमार तथा रक्षा और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे ।


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