कोरोना फैलाने वाली फैक्ट्री बनी दिल्ली की तब्लीगी जमात

 


सभी धर्म मानवता की रक्षा व उनके कल्याण के लिए होते हैं, लेकिन क्या टिप्पणी की जाय तब्लीगी जमात के ऊपर । आश्चर्य होता है उन मुश्लिम धर्म प्रचारकों के ऊपर, जो धर्म को मानवता के ऊपर रखते हुए खुद तो मिटने के लिए तैयार बैठे ही हैं बल्कि दूसरों की मौत का भी रास्ता खोल चुके* हैं । आइये समझते हैं थोड़ा तब्लीगी जमात के बारे में ---- इस जमात का जन्म 1927 में हरियाणा के मेवात शहर में हुआ था । इसका उद्देश्य मोहम्मद साहब की जीवन शैली को अपनाने, उस समय की रीति-रिवाजों तथा पहनावे को अपनाने के लिए उसका प्रचार-प्रसार करना था । आज भी इसका उद्देश्य इस्लामीकरण को बढ़ावा देना ही है । भारत के संविधान व कानूनों से इस जमात का कोई लेना देना नही है, इसलिए इन लोगों ने कोरोना पर सरकार के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया और अपने विदेशी साथियों के बारे में उपलब्ध जानकारी को गुप्त रखा । मैं इस जमात के उद्देश्यों पर ज्यादा बहस करने के पक्ष में फिलहाल नही हूँ। 
इस जमात ने जानबूझकर मानवता के साथ खिलवाड़ किया, सरकार के कानूनों की अवहेलना की, जिससे लाखों लोगों की जीवन सुरक्षा का खतरा पैदा हो गया है । मेरा सरकार से अनुरोध है कि जमात के संचालकों पर कानूनों के तहत कार्यवाही की जाय और इसके साथ ही जमात के खातों को जब्त करते हुए इन लोगों पर होने वाले  दवा व अन्य खर्च की भरपाई भी इसी मरकज़ से की जाय । देश के लोगों द्वारा टैक्स के रूप में जमा किया गया पैसा इस्लाम धर्म के प्रचारको द्वारा खुद बुलाई गई बीमारी पर खर्च करना न्यायसंगत नही होगा।


  फतेह बहादुर सिंह, अध्यक्ष, राष्ट्रीय जनाधिकार परिषद


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