मैं कैसे गाऊँ गीत प्रिय
मैं कैसे गाऊँ गीत प्रिय!
हारे मानव के क्रंदन पर
कैसे मनाऊं जीत प्रिय!
जग वीरान जलता श्मशान
कर मलता बेबस इन्सान
हर आहट दस्तक मौत का
हर पल भय में मानव-प्राण
सुर-ताल बेताल मन-तीत प्रिय
मैं कैसे गाऊं गीत प्रिय!
माँ की गोद हो गई सूनी
मांग वधू की बिन रंगोली
अबोध अनाथ रहा सिसक
देख हृदय भी छलनी-छलनी
पराये हो गये हित प्रिय
मैं कैसे गाऊँ गीत प्रिय
गुम हो गई राग रागिनी
सुबह भी लगती शाम-सांवली
जाने कैसा समय आ गया
लहूलुहान होली दिवाली
शरणागत मम् ईश प्रिय
मैं कैसे गाऊँ गीत प्रिय !