मन को हमेशा संभालते रहना चाहिए


शरीर की अपेक्षा मन की अधिक चिंता करनी चाहिए। पूर्व जन्म का शरीर तो मर गया है किंतु मन नया शरीर लेकर आया है। जीवात्मा मन के साथ जाता है।


मृत्यु के पश्चात भी मन साथ ही आता है। सगे संबंधी मरने के बाद यहीं रह जायेंगे किन्तु मन तो संग ही चलेगा। अन्य सभी की ओर से आसक्ति कम करके मन की चिंता अधिक करो। 


मन यदि बिगड़ गया तो दूसरा मन किसी भी बाजार से मिल नहीं पायेगा। जीवात्मा तन को छोड़ता है किंतु मन को साथ ले चलता है। अतः मन को हमेशा संभालते रहना चाहिए।


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