मिथिला के बड़े नेता के रूप में उभर रहे हैं सांसद गोपाल जी ठाकुर


मिथिला जनक नन्दनी माँ सीता का जन्मस्थली है | मिथिला को मिथिला धाम कहा जाता है और हिन्दू धर्म में जहाँ ईश्वर का वास होता है उसे धाम कहते हैं | मिथिला क्षेत्र में बिहार के 12 जिले और नेपाल के 5 जिले आते हैं जहाँ कभी राजा जनक का शासन चलता था | भगवान् विष्णु के कई अवतार हुए उसमे एक अवतार रामावतार है जिसमे ईश्वर मनुष्य रूप में अवतरित हुए और वो सारे सुख-दुःख झेले जो एक मानव झेलता है | भगवान् विष्णु के अवतार प्रभु श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ और ससुराल मिथिला में | माँ जानकी और प्रभु श्री राम को तो सभी जानते हैं लेकिन मिथिला शब्द से बहुत ऐसे लोग हैं जो अनभिज्ञ हैं | मिथिला के लोग अपनी संस्कृति,अपनी विद्वता के कारण विश्वभर में नाम कमा रहें हैं | मिथिला पेंटिंग जिसे मधुबनी पेंटिंग के नाम से लोग जानते हैं आज विश्वविख्यात है | 


कहा जाता है आदमी कहीं भी चला जाय,कितना बड़ा क्यों ना हो जाय वो अपनी जड़ से छुटकारा नहीं पा सकता | मिथिला हर वर्ष बाढ़ की विभीषिका झेलता है ,मिथिला में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है यही कारण है कि यहाँ पलायन भी सबसे ज्यादा है | मिथिला से पलायन कर चुके परिवार देश ही नहीं विदेशों तक फैले हैं,लेकिन किसी भी तीज-त्यौहार या अन्य अनुष्ठानों के समय उनको घर यानि मिथिला ही याद आता है उसके बाद भी कितने ऐसे लोग हैं जो अपनी पहचान छुपाने में लगे रहते हैं | देश की आजादी से अभी तक कितने सांसद,विधायक,मंत्री आदि हुए लेकिन किसी ने मिथिला को इतना प्रचारित नहीं किया जितना दरभंगा के वर्तमान सांसद गोपाल जी ठाकुर कर रहे हैं | सांसद गोपालजी ठाकुर पहली बार जीत हासिल कर संसद पहुंचे तो मिथिला के पारंपरिक वेश-भूषा में पहुंचे और मैथिली भाषा में शपथ ग्रहण किया | गोपालजी ठाकुर के साथ उसी शैली में मिथिला की हृदय स्थली मधुबनी के सांसद डॉ अशोक यादव भी पहुंचे,उस समय ऐसा लग रहा था कि गोपालजी ठाकुर सिर्फ अपना मार्केटिंग कर रहें हैं,अपने आप को मिथिला का नेता दिखाने की कोशिश कर रहे हैं | लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसी कोशिश आदमी कब तक करेगा अगर उसे मिथिला से लगाव नहीं है तो |


मैं भी मिथिला से हूँ और मिथिला के पिछड़ेपन से बड़ा व्यथित रहता हूँ | सोचता हूँ काश हमारा क्षेत्र भी विकसित होता तो रोजी-रोटी के लिए शहर-दर-शहर भटकना नहीं पड़ता | 21 वीं सदी में भी मिथिला पिछड़ेपन के अंतिम पैदान से एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा है,भले आज वहां के कुछ पैसे वाले लोगों ने बड़ी इमारतें खड़ी कर ली हो लेकिन जीवन स्तर में सुधार नहीं हुआ | मिथिला के नाम से मार्केटिंग कर खुद की झोली भरने वालों से मुझे चिढ़ है | लेकिन सांसद गोपालजी ठाकुर ने मेरे इस भ्रम को कुछ हद तक तोड़ा है | सांसद गोपाल जी ठाकुर में एक बात अच्छी लगी वो जब भी किसी नेता,मंत्री आदि  को बधाई देते हैं तो एक शब्द का उपयोग करते हैं और वो शब्द है "समस्त मिथिलावासी" | "समस्त मिथिलावासी" शब्द कहने से मिथिला के निवासियों चाहे वो भारत के मिथिला क्षेत्र के निवासी हों या नेपाल के मिथिला क्षेत्र के निवासी सभी आनन्दित हो जाते हैं | जब कोई सांसद ऐसे शब्दों का प्रयोग करता है तो उसका प्रचार-प्रसार स्वतः होने लगता है और कहावत है जो दिखता है वही बिकता है | अगर सांसद गोपालजी ठाकुर की वजह से मिथिला का नाम बढ़ रहा है तो वो दिन भी दूर नहीं जब मिथिला विकास का मुंह देखेगा |  


"समस्त मिथिलावासी" शब्द बोलने से जहाँ मिथिला के नाम से देश दुनिया परिचित हो रहा है वही सांसद गोपालजी ठाकुर का भी कद बढ़ता जा रहा है | सांसद गोपालजी ठाकुर का यह मातृभूमि प्रेम ही उन्हें मिथिला के बड़े नेता के रूप में प्रस्थापित करने की दिशा में अग्रसारित कर रहा है | हिन्दुस्तान में हिन्दू धर्म में माता-पिता और मातृभूमि को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है | कहा जाता है माता - पिता की सेवा और मातृभूमि प्रेम व्यक्ति को महान बनाता है |  


जितेंद्र झा 


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