मोपे रंग डारी बरजोरी कान्हा गुइयां...फागोत्सव का दूसरा दिन


लखनऊ। मोपे रंग डारी बरजोरी कान्हा गुइयां... के साथ ही पारम्परिक गीतों से होली की बैठकी गुलजार हुई। लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा फागोत्सव के अन्तर्गत चल रही संगीत बैठकी के दूसरे दिन गुरुवार को पत्रकारपुरम स्थित लिटिल मिलेनियम स्कूल परिसर में हुरियारों ने जमकर फाग गाया तथा एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर होली की शुभकामनायें दीं।



कार्यक्रम की शुरुआत गौरी-गणेश की वन्दना से हुई। वरिष्ठ लोक गायिका पद्मा गिडवानी, एस.एन.ए के पूर्व अध्यक्ष अच्छेलाल सोनी, संगीत भवन की निदेशक निवेदिता भट्टाचार्य, गायिका सुमन पाण्डा, आभा शुक्ला, रिदमिस्ट सरदार कवलजीत सिंह, तबला वादक पवन तिवारी, नरेन्द्र वर्मा 'मृदुल', दीपक बाजपेयी, भजन गायक गौरव गुप्ता, गीतकार सौरभ कमल, जयप्रकाश कुलश्रेष्ठ, भूषण अग्रवाल आदि के साथ ही क्षेत्रीय लोगों ने डेढ़ ताल, चौताल, आड़ा चौताल में एक से बढ़कर एक गीत गाये और जमकर मस्ती की। अनुश्री, साधना, मीहिका गांगुली, सुमन, प्रवीन, ज्योत्सना, नेहा, मंजू चक्रवर्ती, ज्योति किरन रतन, सुषमा अग्रवाल आदि ने भी फाग गाये और झांझ करताल बजाया। अन्तरा भट्टाचार्य ने हारमोनियम पर संगत की। बाल नृत्यांगना पर्णिका श्रीवास्तव, युगल नृत्यागंना ईशा रतन-मीशा रतन, बालीवुड कलाकार रुबल जैन तथा नृत्य विशेषज्ञ विद्याभूषण सोनी ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। इंजीनियर अजय कुमार, आरती श्रीवास्तव, जीतेश श्रीवास्तव व ऋचा श्रीवास्तव ने सभी को गुलाल लगाया। पुलिस महानिदेशक असित कुमार पाण्डा, अन्तर्राष्ट्रीय भोजपुरी सेवा न्यास के अध्यक्ष परमानंद पांडेय, आर.एस.शुक्ला, रागिनी श्रीवास्तव, वैष्णवी शर्मा, एस.के.गोपाल आदि कार्यक्रम में मौजूद रहे।


लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने बताया कि हमारी समृद्ध लोक संस्कृति में बसन्त से आरम्भ होकर शीतलाष्टमी तक कुल चालीस दिन फाग गाने की परम्परा रही है। लुप्त हो रही होली बैठकी की परम्परा को आगे बढ़ाने की दृष्टि से संस्थान द्वारा पन्द्रह दिवसीय फागोत्सव के अन्तर्गत प्रतिदिन फाग बैठकी की जा रही है।


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