मृतक के परिजनों को दिल्ली से लाने वाले चालक का  वापस जाना हुआ दुष्कर 


सलोन ( रायबरेली )  : कोविड - 19 से बचाव के लिए 21 दिनों के  लाकडाउन ने एैसी - एैसी विडम्बना को जन्म दिया हैं जिसने इतनी भौतिक उपलब्धियों और वैज्ञानिक आविष्कारों के बावजूद मनुष्य को उसकी सीमाओं का ज्ञान करा दिया हैं.मामला सलोन तहसील के ममुनी गाँव का हैं जहां 25 मार्च को एक नागरिक राम पदारथ शुक्ला का स्वर्गवास हो गया.उनके पांचों बेटे दिल्ली में रहकर जीविकोपार्जन करते हैं.पिता की मृत्यु का समाचार सुनकर उनके पुत्र संगम लाल शुक्ला अपने अन्य चार भाईयों के साथ किराये की टैक्सी ( नं. Dl 12 CG 1432 ) लेकर किसी तरह से दिल्ली से रायबरेली आ गए और अपने पिता का दाह - संस्कार किया.


                     एक तरफ शुक्ला परिवार में पिता की मृत्यु तो दूसरी ओर एक समस्या यह भी खड़ी हो गई   कि अब टैक्सी की गाड़ी वापस कैसे जाए ? टैक्सी चालक अनिल चौहान 26 मार्च को परेशान हालत में इधर - उधर घूमता रहा कि लाकडाउन के माहौल में वह कैसे वापस दिल्ली लौटे ? संगम लाल शुक्ला और  उनके परिवार के लोग भी 26 मार्च को  हैरान - परेशान रहे कि दिल्ली से उनको लाने वाले टैक्सी चालक को वापस दिल्ली कैसे भेजा जाए ? यात्रा के दौरान जुर्बाने या किसी अन्य संभावित समस्या को लेकर सभी आशाकिंत  हैं. यह सूचना देर रात इस संवाददाता को मिली , अब कल तहसील / जिले की  सक्षम अथारिटी से इसके संदर्भ में पूछा जायेगा कि इस तरह की इस तरह की समस्याओं के लिए उनके पास क्या समाधान हैं ?  


... नैमिष प्रताप सिंह ...


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