भारतीय कम्युनिस्टों का असली चेहरा क्या है?


 कम्युनिस्टों की यही विशेषता है कि वह हिन्दू विरोधी मानसिकता से ग्रस्त हैं, और उसे पुष्ट करने के लिए तथ्यहीन नरेटिव तैयार करते रहते हैं । ये वामपंथी विचारधारा के लोग सिर्फ हिन्दू विरोध पर ही कायम रहते हैं । सेक्युलरिजम को ही  आजतक ये लोग परिभाषित नहीं कर पाए हैं । कुंठाग्रस्त मानसिकता से ग्रसित वामपंथी लोग हिन्दू को तो सेक्युलर बनाना चाहते हैं लेकिन मुस्लिमों को ऐसा कोई ज्ञान नहीं दे पाते हैं। किसी मुस्लिम देश में इनके लिए कोई स्थान नहीं है । किसी इस्लामिक देश में सेक्युलरिजम स्थापित करने में नाकाम रहे ये भारतीय वामपंथी लोग भारत में वर्ग विभाजन की जड़ें मजबूत करने का अभियान चला रहे हैं । इस विचारधारा के लोग भारत में मुस्लिम उत्पीड़न की बात तो उठाते रहते हैं जहां पर राष्ट्रपति जैसे उच्च पद पर मुस्लिम रह चुका है, लेकिन पाकिस्तान तथा अन्य मुस्लिम देशों में हिन्दुओं के उत्पीड़न पर चुप रहते हैं । कश्मीर के हिन्दुओं को वहां से जबरदस्ती भगाए जाने की घटना पर चुप्पी साधे रहते हैं । आरएसएस की नीयत पर उंगली उठाने वाले वामपंथी लोग  तबलीगी जमात, हिजबुल मुजाहिदीन,  जेकेएलएफ तथा अन्य कट्टरपंथी  संगठनों द्वारा किए जा रहे हिंदू विरोधी गतिविधियों पर अपनी राय आखिर क्यों नहीं रख पाते हैं ।  आरएसएस को ब्राह्मणवादी संगठन कहने वाले वामपंथी शायद यह भूल गए हैं कि उनके ऊपरी पंक्ति में बैठे ज्यादातर नेता ब्राह्मण ही है । मेरा वामपंथियों से अनुरोध है कि वह पहले इस्लामिक देशों में जाकर वहां रह रहे मुस्लिमों को सेक्युलर बनाने का अभियान चलाएं और सफल होने पर ही उन्हें आरएसएस के बारे में कोई टिप्पणी करनी चाहिए ।  उन्हें पाकिस्तान व अन्य मुस्लिम देशों में रह रहे हिंदुओं को वही अधिकार दिलाने का प्रयास करना चाहिए जैसे भारत मे मुस्लिमों को मिल रहे हैं ।  


-- फतेह बहादुर सिंह


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