ज्ञानी के सामने ज्ञानी बनने की कोशिश न करो


आज के समय मे सभी ज्ञानी है। एक कहावत भी सुनी होगी  ज्ञानी सम मूढ़ न कोय। आज के समय मे जिस व्यक्ति से बात करो। ज्ञान के बारे में बताओ तो सामने वाला कहता है। मुझे न समझाओ मुझे सब मालूम है। इसका तात्पर्य है कि सामने वाला ब्रम्ह ज्ञानी है। मूढ़ ज्ञान की बात करते है। जब बराबर के ब्रम्ह ज्ञानी आमने सामने हो दोनों जब एक पूछे ये क्या है। तब दूसरा मन मे कहे कि जानते हुए मूढ़ बन रहा है एक ऐसे मूढ़ होता है। ये बात समझ मे नही आने वाली।  
     
राजा जनक से भली भाँति परिचित होंगे सभी ज्ञानी ये भी जानते है कि जनक ब्रम्ह ज्ञानी है। जब विश्वामित्र राम लखन सहित स्वयम्बर सभा मे बैठे देखा जनक ने विश्वामित्र से पूछा ये दोनों कौन है। परमात्मा के सामने आते ही ब्रह्मज्ञान समाप्त हो जाता है। परम् आनंद में लीन हो जाता है। मन में विश्वामित्र ने कहा जनक ज्ञानी होते हुए भी मूढ़ता की बात कर रहे है। एक ऐसे मूढ़  आज के समय के दोनों में अंतर समझ गए होंगे विश्वामित्र जवाब देते है जनक को जंहा तक श्रृष्टि है। ये सब के प्रिय है। 


ज्ञानी के सामने ज्ञानी बनने की कोशिश न करो ज्ञानी आपके जीवन का मूल लक्ष्य क्या है वही बतायेगा। लेकिन तुलसी ने लक्ष्य के बारे में बताया उनकी बात मानो। उमा कहहु अनुभव अपना। सत हरि भजन जगत सब सपना। भजन चिन्तन संकीर्तन किजिये, यही जीवन का मुख्य उद्देश्य है।


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