जमातियों को लक्षद्वीप समूह के अंतर्गत किसी भी द्वीप पर किया जाय कोरेन्टीन - फतेह बहादुर सिंह


लखनऊ । राष्ट्रीय जनाधिकार परिषद, के अध्यक्ष फतेह बहादुर सिंह ने तब्लीगी जमात द्वारा किये जा रहे कृत्य को देखते हुए कहा कि देश की 130 करोड़ जनता के हितों को दरकिनार करके मुट्ठी भर तब्लीगी जमात के जंगली जानवरों को चिकित्सकीय सुविधाएं देना भला कहां तक उचित है ? सरकार को चाहिये कि इन मानवता के दुश्मनों को लक्षद्वीप समूह के अंतर्गत किसी भी द्वीप पर तत्काल कोरेन्टीन किया जाय ।


उन्होंने कहा कि मैंने तब्लीगी जमात के कोरोना वाहकों की तुलना जंगली जानवरों से करके शायद ठीक नही किया । ये लोग तो जंगली जानवरों से भी ज्यादा खतरनाक है मानवता के लिए । दुर्भाग्य तो इस बात का है कि हमारे देश के कुछ राजनेता व मुस्लिम समाज के तथाकथित बुद्धिजीवी भी तब्लीगियों के समर्थन में आगे आ खड़े हुए । यह तो कहिए हम भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में हैं और शायद इसलिए ऐसे देशद्रोही व मानवता के दुश्मनों का इलाज के साथ-साथ उनकी देखभाल भी कर रहे हैं । जरा कल्पना कीजिये अगर ऐसी हरकत यही तब्लीगी किसी मुश्लिम देश मे करते, तो अब तक सारे के सारे खुदा के प्यारे हो चुके होते । सरकार को चाहिए कि वो इन लोगों का इलाज बंद करके इन्हें लक्ष द्वीप के किसी निर्जन स्थान पर कोरेन्टीन कर दे, जहां पर ये लोग अपने खुदा की इबादत करके कोरोना का इलाज करा सकें । देश के सीमित संसाधनों को देखते हुए  मानवता के इन दुश्मनों का इलाज तत्काल बन्द करके उन जरूरतमंद देशवाशियों के इलाज पर सरकार ध्यान दे तो बेहतर होगा ।
एक बड़ा सवाल जिसका उत्तर हम सभी को खोजना पड़ेगा ।


क्या उस विचारधारा के प्रति हमे सहिष्णुता दिखानी चाहिए, जो स्पष्ट रूप से असहिष्णु, असमानता को बढ़ावा देने वाली, नफरत फैलाने वाली और आतंकवाद का प्रोत्साहन करने वाली है ??


किसी ऐसी मान्यता को अपने देश मे बढ़ने देना कितना तार्किक है जिसका तानाबाना ही हमारी मान्यताओं के प्रति असहिष्णु है और हमारी मान्यताओं के दमन व विनाश का आह्वान करती है ??


तब्लीगियों का इंसानियत से कोई लेना देना नही है बल्कि यह दूसरी संस्कृतियों को नष्ट करने का लक्ष्य लेकर चलने वाला सिद्धांत है ।


हमारा सरकार से अनुरोध है कि देश के भोले भाले नागरिकों की जीवन रक्षा के लिए इन सभी तब्लीगी कोरोना वाहकों को भारतीय सीमा में आने वाले किसी द्वीप पर तत्काल कोरेन्टीन करे । अन्यथा की स्थिति में हमारे पास अफसोस व्यक्त करने के अलावा कुछ और नही बचेगा ।


 


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