कई अंतर हैं PMNRF और PM CARES फण्ड में

PMNRF और PM CARES फण्ड में कई अंतर है, लेकिन इनमें मुख्य अंतर यह है कि 1985 तक PMNRF के सदस्यों में एक सदस्य कांग्रेस अध्यक्ष भी होता था जिसे 85 में समाप्त करते हुए इस फंड का पूरा प्रबंधन PMO के अधीन कर दिया गया था। तब स्व० राजीव गांधी जी पीएम भी थे और कांग्रेस अध्यक्ष भी वे ही थे जबकि पीएम केयर्स के प्रबंधन व निर्णय शक्ति केवल पीएमओ के ही अधीन नही है बल्कि लोकतांत्रिक रूप में गठित है।


प्रधानमंत्री राहत कोष के बारे में एक बात गौर करने वाली है कि यह संसद द्वारा गठित नहीं किया गया है। विभाजन के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि विस्थापितों के मदद के लिए सरकार प्रयास कर रही है परंतु यह पर्याप्त नहीं है और इसीलिए इनकी मदद के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी है। इसी के तहत एक राष्ट्रीय कोष की स्थापना की गई। खास बात यह भी है कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष का गठन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने किया था हालांकि इसके प्रबंध समिति ने हमेशा कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष को शामिल किया गया है। जब फंड को बनाया गया था तो निम्नानुसार लोग इसके प्रबंध समिति में शामिल थे-


i) प्रधान मंत्री
ii) भारत की राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष।
iii) उप प्रधान मंत्री।
iv) वित्त मंत्री।
v) टाटा ट्रस्टीज़ का एक प्रतिनिधि।
vi) फिक्की द्वारा चुने जाने वाले उद्योग और वाणिज्य का प्रतिनिधि।


हालांकि बाद में समय-समय पर इसमें नए सदस्यों को जोड़ा गया है। 1985 में एक ऐसा समय आया जब इस फंड प्रबंधन की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री को सौंप दिया गया। प्रधानमंत्री को यह भी अधिकार दिया गया कि वह जिसे चाहे उसे फंड का सचिव बना सकते हैं जिस पर फंड के बैंक खातों को संचालित करने का अधिकार होगा। यानि कि यह फंड पूरे तरीके से PMO के द्वारा संचालित किया जाने लगा। 


वर्ष 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी से लड़ने के लिए सार्वजनिक योगदान के लिए PM-CARES फंड का गठन किया है। इसके तहत मिलने वाले दान को कोरोना वायरस से प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इस फंड के अन्य सदस्यों में रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री को शामिल किया गया है। इसके अलावा विज्ञान, स्वास्थ्य, कानून और सार्वजनिक क्षेत्रों में अच्छे काम करने वाले लोगों को भी इसके सदस्य के रूप में नियुक्ति की गई है। इस फंड के गठन के साथ ही प्रसिद्ध हस्तियों के साथ-साथ आम लोगों ने भी लाखों की संख्या में अपने योगदान किए हैं। पीएम केयर्स फंड के खर्च सम्बन्धी निर्णय हेतु केवल पीएमओ ही नही बल्कि इसके सलाहकार बोर्ड की स्थापना का भी प्रावधान है जिसमें चिकित्सा व्यवसाई और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों, शिक्षाविदों, अर्थशास्त्रियों और वकीलों को रखा जा सकता है।


हालांकि CAG/ऑडिट को लेकर अभी स्थिति साफ नही है किंतु स्पष्ट रूप से हम यह अवश्य कह सकते है कि पीएम केयर्स फंड अपेक्षाकृत अधिक पारदर्शी और लोकतांत्रिक है।


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