केवल चालीस नहीं, सभी पचहत्तर जिलों में भयावह स्थिति - रामगोविन्द चौधरी

 


लखनऊ। नेता प्रतिपक्ष, उत्तर प्रदेश रामगोविन्द चौधरी ने कहा है कि सूबे के केवल चालीस जिले ही नहीं, सभी पचहत्तर जिले भयावह स्थिति से गुजर रहे हैं। आम आदमी के हित में जारी सरकार के आदेश व  निर्देश केवल अखबार, रेडियो, दूरदर्शन और चैनलों पर दिख रहें हैं। 


रविवार को जारी एक आनलाइन प्रेस नोट में नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने कहा है कि यह अच्छी बात है कि राज्यसरकार के प्रवक्ता के तौर पर रोज मीडिया के सामने आ रहे एक अफसर ने चालीस जिलों की स्थिति पर राज्य सरकार के अंसतोष को स्वतः कबूल किया है। इसे मुख्यमन्त्री को गम्भीरता से लेना चाहिए और जबतक स्थिति सन्तोषजनक नहीं हो जाती है, उत्तर प्रदेश कोरोना मुक्त नहीं हो जाता है, तबतक के लिए उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आगे ऐसी लापरवाही नहीं होगी।


नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने कहा है कि सूबे में शासन का मतलब वर्तमान में कुछ खास लोगों और उनसे जुड़े इलीट वर्ग का हित रह गया है। आम आदमी के साथ क्या व्यवहार हो रहा है, उसका ताजा आंकलन अम्बेडकर नगर के उस रोते पिता की तस्वीर से की जा सकती है जिसका बेटा बिस्कुट खरीदने गया था और पुलिस ने उसे बेरहमी से पीट दिया जिससे उसकी मौत हो गयी है। उन्होंने कहा कि हाइवे पर मजदूरों को मुर्गा बनाने वाले, समूह में बैठाकर मजलूमों पर केमिकल छिड़काव करने वालों और पैदल घर आ रहे मजदूरों की पिटाई के मामलों में मुख्यमन्त्री ने पूर्व में ही कड़ी कार्रवाई की होती तो अम्बेडकर नगर की उपरोक्त दुखद घटना नहीं होती या इस तरह की और घटनाएं नहीं होतीं जो अभी प्रकाश में नहीं आई हैं।


नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने कहा है कि देश के करोड़ों लोग दूर दराज के महानगरों में फंसे हुए हैं। ये लोग, कोरोना से नहीं भूख से दम तोड़ रहे हैं। भूख से परेशान इन लोगों की एक मांग है कि हमें घर जाने दो और जवाब में इन्हें मिल रही है पुलिस की लाठी। उन्होंने कहा है कि फँसे हुए लोगों में बहुत बड़ी तादाद यूपी के लोगों की है और इसमें सर्वाधिक पूर्वांचल की है। इन लोगों की आह को नज़र अंदाज़ करना अमानवीय अपराध है और यह अमानवीय अपराध शासन लगातार कर रहा है। इसे मुख्यमन्त्री को निजी तौर पर संज्ञान में लेना चाहिए और शासन इलीट क्लास की मानसिकता से बाहर आकर आम आदमी के लिए काम करे।


नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने कहा है कि सूबे की तीस फीसदी वह आबादी जो अपने श्रम से अपने पैरों पर खड़ीं थी, शासन के अनियोजित फैसलों के कारण वर्तमान में खुद मोहताज हो गई है। इसमें से अधिसंख्य दलित, अतिपिछड़े, पिछड़े, अल्पसंख्यक औऱ गरीब सवर्ण हैं। इसलिए शासन इस तरफ देखने की ज़हमत नहीं उठा रहा है। उन्होंने कहा है कि लगातार लाकबन्दी से निम्न मध्यमवर्ग के लोग भी आर्थिक संकट की जोन में है। अन्नदाता किसान भी अपने बचे खुचे उत्पाद को लेकर परेशान है, उसे खरीददार नहीं मिल रहा है, उसे मीडिया के माध्यम से केवल पढ़ने के लिए सरकारी आदेश और निर्देश मिल रहे है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को शासन के आदेशों और निर्देशों को जमीन पर उतारने के सख्त कदम उठाना चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष श्री रामगोविन्द चौधरी ने  लोगों से अपील की है कि वह कोरोना को हराने के लिए तीन मई तक अपने अपने घरों में रहें और खेती बारी या अन्य जरूरी कार्य से निकलने की स्थिति में भी फिजिकल दूरी बनाए रहें।


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