कोविड-19 की चुनौतियों से लड़ने में सहयोग देने के आश्वासन के साथ प्रधानमंत्री को सोनिया गांधी ने दिये सुझाव


रायबरेली | कांग्रेस अध्यक्ष एवं रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी ने कोरोना वायरस से फैली वैश्विक महामारी से लड़ने और देश को आर्थिक संकट से उबारने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पांच सुझाव दिए हैं. इसके अलावा उन्होंने कोविड - 19 के खिलाफ भारत सरकार के हर संघर्ष में सहभागी होने का भी विश्वास दिलाया हैं .सोनिया गांधी ने यह पत्र प्रधानमंत्री द्वारा टेलीफोन वार्ता में कांग्रेस पार्टी से कोविड-19 से लड़ने   में सुझाव देने को लेकर किये गए आग्रह के क्रम में लिखा हैं. आज 07 अप्रैल को सांसद सोनिया गांधी  ने कोरोना वायरस के चलते उत्पन्न हुई महामारी के खतरे को ध्यान में रखते हुए बेहद भावात्मक अंदाज में पत्र की शुरुआत यह लिखते हुए किया , ' इस चुनौतीपूर्ण समय में आपके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हूँ। ' कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो पेज का जो पत्र लिखा हैं उसमें प्रमुख रुप से सांसदों का वेतन कम करने के फैसले का समर्थन करते हुए सरकार से विज्ञापन पर खर्च सीमित करने , सेंट्रल दिल्ली में नई संसद और दूसरे भवनों के निर्माण की योजना को टालने., सरकार के खर्चे में 30 परसेंट कटौती करके वो पैसे मजदूरों, किसानों को आर्थिक सुरक्षा देने, मंत्रियों और अधिकारियों की फिजूल विदेश यात्रा पर पीएम द्वारा रोक लगाने और पीएम केयर्स फंड में मिले पैसों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में ट्रांसफर करने का सुझाव दिया है . उन्होंने  सांसदों का वेतन 30 प्रतिशत कम करने के केंद्रीय मंत्रीमंडल के निर्णय का भी  समर्थन किया हैं। सोनिया गांधी का मानना हैं कि  कोविड-19 की महामारी के खिलाफ लड़ने के लिए फंड एकत्रित करने में सादा व अतिसंयमित खर्च आज के समय की मांग है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यह विश्वास व्यक्त किया हैं कि जिस  सकारात्मक भावना से उन्होंने  पांच ठोस सुझाव दिया हैं उसे प्रधानमंत्री द्वारा लागू किया जायेगा , यह पांच सुझाव इस प्रकार हैं :
 
 #  पहला :  सरकार एवं सरकारी उपक्रमों द्वारा मीडिया विज्ञापनों- टेलीविज़न, प्रिंट एवं ऑनलाईन विज्ञापनों पर दो साल के लिए रोक लगा यह पैसा कोरोना वायरस से उत्पन्न हुए संकट से जूझने में लगाया जाए। केवल कोविड-19 के बारे में एडवाइज़री या स्वास्थ्य से संबंधित विज्ञापन ही इस बंदिश से बाहर रखे जाएं। केंद्र सरकार मीडिया विज्ञापनों पर हर साल लगभग 1,250 करोड़ रु. खर्च करती है। इसके अलावा सरकारी उपक्रमों एवं सरकारी कंपनियों द्वारा विज्ञापनों पर खर्च की जाने वाली सालाना राशि इससे भी अधिक है। सरकार के इस प्रयास से कोरोना वायरस द्वारा हुए अर्थव्यवस्था व समाज को होने वाले नुकसान की भरपाई में एक बड़ी राशि जुटाने में मदद मिलेगी। 


# दूसरा : 20,000 करोड़ रु. की लागत से बनाए जा रहे ‘ सेंट्रल विस्टा ’ ब्यूटीफिकेशन एवं कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट को स्थगित किया जाए। मौजूदा स्थिति में विलासिता पर किया जाने वाला यह खर्च व्यर्थ है। मुझे विश्वास है कि संसद मौजूदा भवन से ही अपना संपूर्ण कार्य कर सकती है। नई संसद व उसके नए कार्यालयों के निर्माण की आज की आपातकालीन स्थिति में जरूरत नहीं। ऐसे संकट के समय में इस खर्च को टाला जा सकता है। इससे बचाई गई राशि का उपयोग नए अस्पतालों व डायग्नोस्टिक सुविधाओं के निर्माण तथा अग्रिम कतार में रहकर काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों को पर्सनल प्रोटेक्शन ईक्विपमेंट (‘पीपीई’) एवं बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए किया जाए।
 
# तीसरा : भारत सरकार के खर्चे के बजट (वेतन, पेंशन एवं सेंट्रल सेक्टर की योजनाओं को छोड़कर) में भी इसी अनुपात में 30 प्रतिशत की कटौती की जानी चाहिए। यह 30 प्रतिशत राशि (लगभग 2.5 लाख करोड़ रु. प्रतिवर्ष) प्रवासी मजदूरों, श्रमिकों, किसानों, एमएसएमई एवं असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों को सुरक्षा चक्र प्रदान करने के लिए आवंटित की जाए।


# चौथा : राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, राज्य के मंत्रियों तथा नौकरशाहों द्वारा की जाने वाली सभी विदेश यात्राओं को स्थगित किया जाए। केवल देशहित के लिए की जाने वालीआपातकालीन एवं अत्यधिक आवश्यक विदेश यात्राओं को ही प्रधानमंत्री द्वारा अनुमति दी जाए। विदेश यात्राओं पर खर्च की जाने वाली यह राशि (जो पिछले पाँच सालों में केवल प्रधानमंत्री एवं केंद्रीय मंत्रियों की विदेश यात्रा के लिए 393 करोड़ रु. है) कोरोना वायरस से लड़ाई में सार्थक तौर से उपयोग की जा सकती है।
 
# पाँचवां :  ‘पीएम केयर्स’ फंड की संपूर्ण राशि को ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत फंड’ (‘पीएम-एनआरएफ’) में स्थानांतरित किया जाए। इससे इस राशि के आवंटन एवं खर्चे में एफिशियंसी, पारदर्शिता, जिम्मेदारी तथा ऑडिट सुनिश्चित हो पाएगा। जनता की सेवा के फंड के वितरण के लिए दो अलग-अलग मद बनाना मेहनत व संसाधनों की बर्बादी है। पीएम-एनआरएफ में लगभग 3800 करोड़ रु. की राशि (वित्तवर्ष 2019 के अंत तक) बिना उपयोग के पड़ी है। यह फंड तथा ‘पीएम-केयर्स’ की राशि को मिलाकर उपयोग में लाकर, समाज में हाशिए पर रहने वाले लोगों को तत्काल खाद्य सुरक्षा चक्र प्रदान किया जाए।
 
सांसद सोनिया गांधी ने अपने पत्र के आखिर में स्पष्ट  लिखा हैं कि  कोविड - 19 के विरूद्ध लड़ने में प्रत्येक भारतीय ने व्यक्तिगत रूप से त्याग किया है। देश के नागरिकों ने प्रधानमंत्री और उनके कार्यालय तथा केंद्र सरकार द्वारा दिए गए हर सुझाव, निर्देश एवं निर्णय का पालन किया है। अब विधायिका एवं सरकार द्वारा नागरिक समाज  के विश्वास व भरोसे पर खरा उतरने का समय आ गया है। सोनिया गांधी ने यह पत्र लिखकर कोरोना से लड़ाई की आगे की रणनीति को लेकर अपने और कांग्रेस पार्टी की भूमिका को स्पष्ट कर दिया हैं अब प्रधानमंत्री / भारत सरकार के ऊपर निर्भर करता हैं कि वे इन सुझावों पर राष्ट्र - हित में कितना अमल करते हैं ?


... नैमिष प्रताप सिंह...


Popular posts from this blog

स्वस्थ जीवन मंत्र : चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठ में पंथ आषाढ़ में बेल

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

!!कर्षति आकर्षति इति कृष्णः!! कृष्ण को समझना है तो जरूर पढ़ें