लाकडाउन के समय में राहत कार्यो के मोर्चे पर निवेदिता 


रायबरेली : सार्वजनिक जीवन आयु की प्रतीक्षा नहीं करता हैं , बड़ा कार्य करने के लिए उम्र में बड़ा होने के बजाय यह चेतना पर निर्भर करता हैं कि आप कितनी  आयु में समाज के लिए उपयोगी हो जाते हैं. छोटी उम्र में  बड़ी सोच का उदाहरण हैं - निवेदिता रस्तोगी. कोविड -19 से बचाव के क्रम में घोषित किये गये लाकडाउन वाले दिन से ही शहर के प्रगतिपुरम कालोनी में रहने वाली निवेदिता रस्तोगी अपनी  छोटी बहन जानकी रस्तोगी के साथ कोरोना वायरस द्वारा फैली वैश्विक महामारी में पीड़ितों की मदद करने लिए आगे आ गई .ये दोनों - निवेदिता और जानकी - जो कि क्रमशः केन्द्रीय विद्यालय एवं सेन्ट पीटर्स स्कूल की छात्रा हैं , अपने घर के आस-पास कोई भूखा न रहे , इसलिए कभी सुरक्षाकर्मियों को फल खिलाती , तो कभी महिलाओं को लंच पैकेट वितरित करती . दोनों छात्राएं  अपने घर में ही दादी, माँ एवं चाची के साथ लंच पैकेट बनवाती उसके बाद घर के किसी सदस्य को लेकर निकल पड़ती , जहाँ जो दिखाई देता उसे लंच पैकेट थमा देती . इन दोनों छात्राओं ने आज रतापुर स्थित बुढऊ बाबा के मन्दिर के बाहर छोटे-छोटे बच्चों को खेलते देखा और उनसे जाकर पूँछ बैठी की खाना खाया , जवाब में बच्चों ने न कहकर सिर हिला दिया. इस पर दोनों छात्राओं ने इनको लाइन में खड़ाकर  लंच पैकेट दिया. बच्चे लंच पैकेट पाकर खुश हुए और उपस्थित  महिलाओं ने छोटी बच्चियों  की परोपकार की भावना देखकर उन्हें सदैव खुश रहने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।  निवेदिता ने बताया उसे लोगों को खाना खिलाना बहुत अच्छा लगता है , इससे उसे आत्मिक  खुशी प्राप्त होती है . उसने यह भी कहा कि हम सब बच्चे अपने स्कूल में भी इसी तरह एक - दूसरे का टिफिन लेकर साथ-साथ बैठकर भोजन करते हैं, किसी के पास यदि कुछ कम भी रहता है तो आपस में ही बाँटकर खा लेते हैं, मिल-बाँटकर खाने से सबकी भूख मिट जाती है। लंच वितरण के दौरान निवेदिता का हौसला बढ़ाने के लिए अशोक मिश्रा, शैलेन्द्र सिंह, सचिन श्रीवास्तव, धर्मेन्द्र यादव आदि ... उपस्थित रहे.
 
... नैमिष प्रताप सिंह ...


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