विश्व धरोहर के संरक्षण में यूनेस्को की भूमिका


हाल ही में संस्कृति मंत्रालय (Ministry of Culture) ने अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (Intangible Cultural Heritage-ICH) की राष्ट्रीय सूची लॉन्च की है।


ध्यातव्य है कि भारत में अनोखी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) परंपराओं का भंडार है, जिनमें से 13 को यूनेस्को (UNESCO) द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में भी मान्यता दी है।


अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) की राष्ट्रीय सूची का उद्देश्य भारतीय अमूर्त विरासत में निहित भारतीय संस्कृति की विविधता को नई पहचान प्रदान करना है।


इस राष्ट्रीय सूची का उद्देश्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के विभिन्न राज्यों में मौजूद अमूर्त सांस्कृतिक विरासत तत्त्वों के संबंध में जागरूकता बढ़ाना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है।


उल्लेखनीय है कि यह पहल संस्कृति मंत्रालय के विज़न 2024 (Vision 2024) का एक हिस्सा भी है।


अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिये यूनेस्को के वर्ष 2003 के कन्वेंशन (Convention) का अनुसरण करते हुए संस्कृति मंत्रालय ने इस सूची को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को प्रकट करने वाले पाँच व्यापक डोमेन में वर्गीकृत किया है-


अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के एक वाहक के रूप में भाषा सहित मौखिक परंपराएँ और अभिव्यक्ति;


प्रदर्शन कला;


सामाजिक प्रथाएँ, अनुष्ठान और उत्सव;


प्रकृति एवं ब्रह्मांड के विषय में ज्ञान तथा अभ्यास;


पारंपरिक शिल्प कौशल।


अब तक इस राष्ट्रीय सूची में 100 से अधिक अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) परंपराओं और तत्त्वों को शामिल किया गया है, इसमें भारत की 13 अमूर्त सांस्कृतिक विरासतें भी शामिल हैं जिन्हें यूनेस्को (UNESCO) ने मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप मान्यता दी है।


संस्कृति मंत्रालय द्वारा इस राष्ट्रीय सूची को समय के साथ अपडेट किया जाएगा।


अमूर्त संस्कृति?- अमूर्त संस्कृति किसी समुदाय, राष्ट्र आदि की वह निधि है जो सदियों से उस समुदाय या राष्ट्र के अवचेतन को अभिभूत करते हुए निरंतर समृद्ध होती रहती है। 


अमूर्त सांस्कृतिक समय के साथ अपनी समकालीन पीढि़यों की विशेषताओं को अपने में आत्मसात करते हुए मौजूदा पीढ़ी के लिये विरासत के रूप में उपलब्ध होती है। 


अमूर्त संस्कृति समाज की मानसिक चेतना का प्रतिबिंब है, जो कला, क्रिया या किसी अन्य रूप में अभिव्यक्त होती है। 


उदाहरणस्वरूप, योग इसी अभिव्यक्ति का एक रूप है। भारत में योग एक दर्शन भी है और जीवन पद्धति भी। यह विभिन्न शारीरिक क्रियाओं द्वारा व्यक्ति की भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। 


यूनेस्को (UNESCO) और भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत- यूनेस्को की स्थापना वर्ष 1945 में स्थायी शांति बनाए रखने के रूप में "मानव जाति की बौद्धिक और नैतिक एकजुटता" को विकसित करने के लिये की गई थी।


यूनेस्को सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्त्व के स्थलों को आधिकारिक तौर पर विश्व धरोहर की मान्यता प्रदान करती है। 


ध्यातव्य है कि ये स्थल ऐतिहासिक और पर्यावरण के लिहाज़ से भी महत्त्वपूर्ण होते हैं।


भारत में यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त कुल 37 मूर्त विरासत धरोहर स्थल (29 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित) हैं और 13 अमूर्त सांस्कृतिक विरासतें हैं। 


यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त अमूर्त सांस्कृतिक विरासतों की सूची में शामिल हैं-


(1) वैदिक जप की परंपरा (3) रामलीला, रामायण का पारंपरिक प्रदर्शन (3) कुटियाट्टम, संस्कृत थिएटर (4) राममन, गढ़वाल हिमालय के धार्मिक त्योहार और धार्मिक अनुष्ठान, भारत (5) मुदियेट्टू, अनुष्ठान थियेटर और केरल का नृत्य नाटक (6) कालबेलिया लोक गीत और राजस्थान के नृत्य (7) छऊ नृत्य (8) लद्दाख का बौद्ध जप: हिमालय के लद्दाख क्षेत्र, जम्मू और कश्मीर, भारत में पवित्र बौद्ध ग्रंथों का पाठ (9) मणिपुर का संकीर्तन, पारंपरिक गायन, नगाडे और नृत्य (10) पंजाब के ठठेरों द्वारा बनाए जाने वाले पीतल और तांबे के बर्तन (11) योग (12) नवरोज़, नोवरूज़, नोवरोज़, नाउरोज़, नौरोज़, नौरेज़, नूरुज़, नोवरूज़, नवरूज़, नेवरूज़, नोवरूज़ (13) कुंभ मेला।


(स्रोत: पी.आई.बी/दृष्टि आईएएस)


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