21 मई ' बलिदान दिवस ' भारत रत्न राजीव गांधी का राष्ट्र के प्रति सर्वस्व न्योंछावर के प्रतीक रूप में युगों - युगों तक स्मरण कराता रहेगा - देवेन्द्र प्रताप सिंह 


भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्रद्धेय राजीव गांधी जी एक एैसे महामानव थे जो भारतीय लोकतंत्र में सत्ता के सर्वोच्च सिंहासन पर पहुँचे लेकिन अपनी विनम्रता - शालीनता को वैसे ही बनाए रखा , जैसे उनको यह जन्म से प्राप्त हुई थी. वे भले ही आज इस दुनिया में नहीं है लेकिन देश के लोगों के दिलों में आज भी जिंदा है। राजीव गांधी ने 19 वीं सदी में 21वीं सदी के भारत का सपना देखा था और इस सपने को धरातल पर लाने के लिए उन्होंने अनेकानेक निर्णय लिया और उसे क्रियान्वित किया जो उनके दूरदर्शी होने का प्रमाण है. यह विचार उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य देवेन्द्र प्रताप सिंह ने इस संवाददाता से पूर्व प्रधानमंत्री  राजीव गांधी जी की 29 वीं पुण्य तिथि पर एक विशेष बातचीत में व्यक्त किया. 


स्वर्गीय राजीव गांधी जी की विशेषताओं को अभिव्यक्त करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता देवेन्द्र प्रताप कहते है कि वे स्वभाव से बहुत गंभीर - विनम्र थे लेकिन एक प्रधानमंत्री के रूप में वे आधुनिक सोच और निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता वाले व्यक्तित्व के रूप में सामने आये . राजीव गांधी जी अपने देश को उन उच्च तकनीकों से परिपूर्ण करना चाहते थे जो दुनियां के विकसित देशों में थी. भारत में हुई संचार क्रांति और कंप्यूटर क्रांति उनकी इसी सोच की ही देन थी . आज आम आदमी के हाथ में दिखने वाला मोबाइल - कंम्पयुटर उन्हीं दूरगामी फैसलों का नतीजा है। भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखने के साथ ही उनका एक अन्य बड़ा लक्ष्य 21वीं सदी के भारत का निर्माण था. अपने इसी सपने को साकार करने के लिए उन्होंने देश में कई क्षेत्रों में नई पहल करते हुए 18 साल के युवाओं को मताधिकार का अधिकार दिलाया .पंचायती राज को सशक्त बनाने के लिए निर्वाचित जन प्रतिनिधियों को तमाम अधिकार दिलाये जिससे ग्रामीण भारत के विकास को नई दिशा मिली.  


देवेन्द्र प्रताप सिंह ने इस विशेष बातचीन में यह बताया कि राजीव जी 40 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बनने वाले  देश के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री थे.संपूर्ण संसार में वे गिने - चुने नेताओं में से है जिन्होंने इतनी अल्पायु में किसी राष्ट्र का नेतृत्व किया .अपनी मां के हत्या के बाद वह कांग्रेस अध्यक्ष और फिर  देश के संसदीय लोकतंत्र के इतिहास का सबसे बड़ा जनादेश हासिल करके देश के प्रधानमंत्री बने थे. उक्त  चुनाव में कांग्रेस को एतिहासिक बहुमत मिला था , पार्टी ने रिकॉर्ड 401 सीटें हासिल की. 


देवेन्द्र प्रताप सिंह आगे बताते है कि 20 अगस्त 1944 को मुंबई में जन्में राजीव गांधी जी ने मुख्य रूप से दून कॉलेज से शिक्षा प्राप्त किया . इसके बाद वे कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज गए  लेकिन शीघ्र ही लंदन के इंम्पीरियल कॉलेज चले गए जहाँ से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। उनका फोकस विज्ञान एवं इंजीनियरिंग पर ज्यादा होता था. इसके अलावा संगीत में उनकी बहुत रूचि थी। उन्हें पश्चिमी और हिंदुस्तानी शास्त्रीय बहुत पसंद था। उन्हें फोटोग्राफी और रेडियो सुनने का भी खासा शौक था। हवाई उड़ान उनका सबसे बड़ा जुनून था। इंग्लैंड से घर लौटने के बाद उन्होंने दिल्ली फ्लाइंग क्लब के प्रवेश परीक्षा पास की और व्यावसायिक पायलट का लाइसेंस हासिल किया। इसके बाद वह 1968 में घरेलू राष्ट्रीय जहाज कंपनी इंडियन एयरलाइंस के पायलट बन गए। 23 जून 1980 को एक जहाज हादसे में उनके छोटे भाई संजय गांधी जी की मृत्यु के चलते अपनी मां की मदद करने का ऊन पर दबाव बन गया और इस तरह से ना चाहते हुए भी सियासत में आ गए . राजीव गांधी जी ने जून 1981 में अपने भाई संजय गांधी जी की मौत की वजह से खाली हुए उत्तर प्रदेश के अमेठी लोकसभा क्षेत्र का उप चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई। इसी महीने वे युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बन गए। उन्हें नवंबर 1982 में भारत में हुए एशियाई खेलों से संबंधित महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई जिसे उन्होंने बहुत अच्छी तरह से निभाया. इसके साथ - साथ  कांग्रेस के महासचिव के तौर पर उन्होंने पूर्ण समर्पण के साथ कार्य  करते हुए पार्टी संगठन को सशक्त बनाया. 


देवेन्द्र प्रताप राजीव गांधी जी के प्रधानमंत्रित्व काल की चर्चा करते हुए बताया कि उन्होंने नौकरशाही में सुधार लाने और देश की अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के लिए कारगर कदम उठाए. इसके अलावा  उन्होंने कई साहसिक कदम उठाए जैसे कि श्रीलंका में शांति सेना का भेजना , असम समझौता, पंजाब समझौता, मिजोरम समझौता आदि हैं। इसकी वजह से ही चरमपंथी - कट्टरवादी ताकतें उनकी  दुश्मन बन गई । आखिर में लोकसभा के आम चुनाव के प्रचार के लिए 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर गए जहां एक आत्मघाती हमले में उनकी मौत हो गई। 


नैमिष प्रताप सिंह से हुई इस विशेष बातचीत मे देवेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि ये युवा प्रधानमंत्री संपूर्ण देशवासियों  विशेषकर युवाओं मेँ बेहद  लोकप्रिय थे। स्वर्गीय राजीव गांधी जी दलगत राजनीति में रहते हुए भी  अपने विरोधियों की मदद के लिए भी हमेशा तैयार रहते थे। जब राजीव गांधी जी की हत्या कर दी गई तो दक्षिणपंथी राजनीति के शीर्ष पुरूष स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई जी ने अपने इलाज में राजीव गांधी जी की मदद को याद करके भावुक हो उठे थे. स्वर्गीय राजीव गांधी जी के योगदान को ध्यान मेँ रखकर  उनकी  जयंती "सद्भावना दिवस" और "अक्षय ऊर्जा दिवस" के रूप  में  मनाई जाती है जबकि  पुण्यतिथि 21 मई को सभी देशवासी  ' बलिदान दिवस ' के रूप में याद करके उनको अपनी भावपूर्ण श्रद्धाजंली अर्पित करते है.    


* यह साक्षात्कार भारतवर्ष के महान एवं देशवासियों विशेषकर युवाओं के लोकप्रिय नेता स्वर्गीय राजीव गांधी जी की पुण्यतिथि पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य देवेन्द्र प्रताप सिंह की नैमिष प्रताप सिंह से हुई विशेष बातचीत का एक हिस्सा है. स्वर्गीय राजीव गांधी जी को आदर्श मानने वाले देवेन्द्र प्रताप सिंह की पहचान कांग्रेस के निष्ठावान सिपाही के रूप में होती है. देवेन्द्र प्रताप सिंह का कहना है कि वे स्वर्गीय राजीव गांधी से प्रेरित होकर उनके बताए हुए आदर्शों, मूल्यों, सिद्धांतों, सामाजिक, राजनीतिक राजधर्म का  पालन करते हुए कांग्रेस पार्टी के संपूर्ण समर्पण के साथ सार्वजनिक जीवन में सक्रिय है .


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